गुवाहाटी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोडो समझौते और सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को पहली बार असम के दौरे पर पहुंचे। वे बोडो बाहुल्य कोकराझार में समझौते के जश्न में शामिल हुए। उन्होंने रैली में कहा कि यहां की माताओं का प्यार मुझे डंडे मारने की बात करने वाले से सुरक्षा कवच देगा। असम में इतने दशकों तक यहां गोलियां चलती रहीं, आज शांति स्थापित हुई। न्यू इंडिया का रास्ता खुल गया है। शांति और विकास के नए अध्याय में आपका स्वागत करता हूं। प्रधानमंत्री के भाषण की अहम बातें…
”मैंने जीवन में कई रैलियां देखी हैं, लेकिन कभी इतना विशाल जनसागर देखने का सौभाग्य नहीं मिला। आपकी तादाद देखकर मेरा विश्वास और बढ़ गया। कभी-कभी लोग मुझे डंडा मारने की बातें करते हैं। लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं उसे कुछ नहीं हो सकता। मैं दिल की गहराई से आपको गले लगाने आया हूं।”
शहीदों को याद करने का दिन
”कल पूरे देश ने देखा है कि किस प्रकार से गांव-गांव आपने मोटरसाइकिल रैलियां निकालीं, पूरे क्षेत्र में दीप जलाकर दिवाली मनाई। चारों तरफ उसके दृश्य सोशल मीडिया में नजर आ रहे थे। सारा हिंदुस्तान आपकी ही चर्चा कर रहा था। आज का दिन उन हजारों शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर जीवन बलिदान दिया है। बोडोफा, उपेंद्रनाथ और रूपनाथ ब्रह्मजी के योगदान को याद करने का है। इस समझौते में सकरात्मक भूमिका निभाने वाले बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के अभिनंदन का दिन है।”
PM Modi: I am here to assure all in Assam,that anti-Assam&anti-national mentality will not be tolerated &forgiven by country.Some powers are spreading rumours in Northeast that people from outside will come&settle here due to #CAA. I want to assure that no such thing will happen. pic.twitter.com/RQb6iq8J56
— ANI (@ANI) February 7, 2020
इस धरती पर हिंसा का अंधकार न लौटे
आपकी Aspirations, आपके सुख-दुख, हर बात की भी मुझे पूरी जानकारी है। जिस प्रकार अपने सारे भ्रम समाप्त कर, सारी मांगे समाप्त कर,बोडो समाज से जुड़े साथी साथ आए हैं, मुझे उम्मीद है कि अन्य लोगों के भी सारे भ्रम बहुत जल्द खत्म हो जाएंगे: PM @narendramodi #BodoPeaceAccord
— PMO India (@PMOIndia) February 7, 2020
”आपके सहयोग से ही स्थायी शांति का रास्ता निकल पाया है। आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत और नए सवेरे का एक नई प्रेरणा का स्वागत करने का अवसर है। आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्यधारा को मजबूत करना है। अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। अब इस धरती पर किसी मां के बेटे-बेटी किसी बहन-भाई का खून नहीं गिरेगा। हिंसा नहीं होगी।”
आज देश में हमारी सरकार की ईमानदार कोशिशों की वजह से ये भावना विकसित हुई है कि सबके साथ में ही देश का हित है।
इसी भावना से, कुछ दिन पहले ही गुवाहाटी में 8 अलग-अलग गुटों के लगभग साढ़े 6 सौ कैडर्स ने शांति का रास्ता चुना है: PM @narendramodi #BodoPeaceAccord— PMO India (@PMOIndia) February 7, 2020
गांधी ने अहिंसा का रास्ता दिखाया
”आज वो माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, जिनका बेटा कभी बंदूक लेकर घूमता था। कल्पना कीजिए कि इतने दशकों तक गोलियां चलती रहीं। आज उस जिंदगी से मुक्ति का रास्ता खुल गया है। मैं न्यू इंडिया के नए संकल्प में शांत असम और पूर्वोत्तर का दिल से स्वागत करता हूं। महात्मा गांधी दुनिया के लिए हिंसा का रास्ता छोड़कर अहिंसा का रास्ता अपनाने की प्रेरणा है। गांधीजी कहते थे कि अहिंसा की राह पर चलते हुए हमें जो भी प्राप्त होता है वो सभी को स्वीकर होता है। असम में कई साथियों ने शांति के साथ लोकतंत्र को स्वीकार किया है।”
”आज बोडो आंदोलन से जुड़ी हर मांग समाप्त हो चुकी है। 1993 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी शांति स्थापित नहीं हो पाई। अब केंद्र, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस अकॉर्ड पर साइन किया है वह अभूतपूर्व है। साथियों मुजे पर भरोसा करना, मैं आपका हूं। आपके दुख दर्द, आपके आशा अरमान, आपके बच्चों का उज्ज्वल भविष्य, इसके लिए मुझसे जो हो सकेगा, उसे करने में मैं पीछे नहीं हटूंगा। इस शांति के रास्ते में आपको कांटा न चुभ जाए, इसकी परवाह मैं करुंगा। असम समेत पूरा हिंदुस्तान आपके दिल को जीत लेगा, क्योंकि आपने रास्ता सही चुना है। सभी अपने लिए खड़े होकर तालियां बजाएं।”
समझौते के बाद 1500 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया
मोदी ने गुरुवार को ट्वीट में बोडो समझौते का जिक्र कर लिखा- अब असम में शांति और विकास का नया रास्ता खुल गया है। पिछले दिनों असम सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रतिबंधित नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के बीच दिल्ली में तिहरा समझौता हुआ था। इसके तहत 1500 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जो करीब 50 साल से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहे थे। इस दौरान संघर्ष में 4 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई।