
उत्तर प्रदेश का सोनभद्र (Sonbhadra) जिला देश में अपनी अलग पहचान बनाने वाला है। सोनभद्र के मुहली क्षेत्र में पहाड़ी के नीचे 2943.26 टन और सोन पहाड़ी (SonPahadi) में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार (Gold reserves) मिला है। सोने की मौजूदा कीमत के हिसाब से इतने सोने का मूल्य करीब 12 लाख करोड़ रुपये है। जो भारत में पहले रिजर्व रखे सोने से करीब पांच गुना ज्यादा है। इतना सोना मिलना भारत जैसे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आइए आपको देखते हैं सोनभद्र जिले के उस क्षेत्र की तस्वीरें जहां मिला 3,000 टन से ज्यादा सोने का भंडार…

खनिज विभाग और भू-वैज्ञानिकों की टीम करीब साल 2012 से सोनभद्र में सोने के भंडार की तलाश कर रही थी। दावा किया जा रहा है था कि सोनभद्र के मुहली और सोनपहाड़ी क्षेत्र में जमीन के नीचे सोने का भंडार है। साल 2020 में खनिज विभाग और भू-वैज्ञानिकों की टीम को बड़ी सफलता मिली। लंबे प्रयास के बाद मुहली में 2943.26 टन और सोन पहाड़ी में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार मिला है। वहीं पुलवार ब्लॉक में दो स्थानों पर 12.7 टन और 22.16 टन और सलइयाडीह ब्लॉक में 60.18 टन एंडालुसाइट का भंडार है।
भू-वैज्ञानिकों ने यहां 2 जगह सोने के अयस्क (Gold Ore) खोजे हैं। जानकारी के अनुसार सोनभद्र में 3 हजार टन से ज्यादा सोने के अयस्क का खजाना है। इतनी मात्रा में अयस्क से करीब डेढ़ हजार टन सोने का खनन किया जाएगा।

सोना का भंडार मिलने के बाद यूपी सरकार ने खदानों को लीज पर देने की प्रक्रिया में तेजी ला दी है। इनके खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया से पूर्व जिओ टैगिंग की कार्रवाई शुरू की गई है। खनन अधिकारी के मुताबिक, नीलामी से पहले चिह्नित खनिज स्थलों की जियो टैगिंग के लिए गठित सात सदस्यीय टीम 22 से 23 फरवरी तक खनन निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही ऑनलाइन निविदा जारी करने का राज्य सरकार निर्देश देगी।
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान मुहली और सोन पहाड़ी में सोने के अलावा, लोहा और भारी मात्रा में दूसरे खनिज भी दबे हैं। मौजूदा कीमत के हिसाब से इतने सोने का मूल्य करीब 12 लाख करोड़ रुपये है। ये भारत के रिजर्व सोने का पांच गुना बताया जा रहा है। अब जीएसआई की टीम खदान के इलाके का हवाई सर्वेक्षण करा रही है। इसके लिए 2 हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं।
सोनभद्र केके राय (जिला खनन अधिकारी) के मुताबिक भूतत्व और खनिकर्म विभाग और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम इस कार्य में लगी हुई है। जल्द ही पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सर्वे के मध्यम से इसका आंकलन किया जा रहा है कि कितनी राजस्व की भूमि है और कितनी वन विभाग की है। ताकि खनन के लिए वन विभाग से अनुमति की प्रक्रिया शुरू हो सके।
वैज्ञानिकों को महुली में 2943.26 टन और सोन पहाड़ी में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार मिला है। इसी प्रकार पुलवार ब्लॉक में दो स्थानों पर 12.7 टन और 22.16 टन और सलइयाडीह ब्लॉक में 60.18 टन एंडालुसाइट का भंडार है।
सोने की खदान पर जहरीले सांपों का बसेरा
जानकरी के लिए बता दे कि वैज्ञानिकों के अनुसार सोनभद्र के सोन पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाने वाली सांप की तीनों प्रजातियां इतने जहरीले हैं कि किसी को काट ले तो उसे बचाना संभव नहीं है। सोनभद्र जिले के जुगल थाना क्षेत्र के सोन पहाड़ी के साथी दक्षिणांचल के दुद्धी तहसील के महोली विंढमगंज चोपन ब्लाक के कोन क्षेत्र में काफी संख्या में सांप मौजद हैं।
स्नायु तंत्र प्रभावित करता है कोबरा
कोबरा और करैत के जहर न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, स्नायु तंत्र को शून्य कर देते हैं और मनुष्य की मौत हो जाती है। कोबरा के काटे स्थान पर सूजन हो जाती है और करैत का दंश देखने से पता नहीं चलता है।
खून जमा देता है रसेल वाइपर
सांपों पर अध्ययन कर चुके विज्ञान डॉक्टर अरविंद मिश्रा ने बताया कि रसेल वाइपर विश्व के सबसे जहरीले सांपों में से एक है। इसका जहर हीमोटॉक्सिन होता है, जो खून को जमा देता है। काटने के दौरान यदि यह अपना पूरा जहर शरीर में डाल देता है तो मनुष्य की घंटे भर से भी कम समय में मौत हो सकती है। यही नहीं यदि जहर कम जाता है तो काटे स्थान पर घाव हो जाता है, जो खतरनाक साबित होता है।
सांपों के बसेरे पर संकट
सोनभद्र के चोपन ब्लाक के सोन पहाड़ी में सोने के भंडार मिलने के बाद इसकी जियो टैगिंग कराकर ई टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की तैयारी है। ऐसे में विश्व के सबसे जहरीले सांपों की प्रजातियों के बसेरे पर संकट मंडराना तय है।
सिर्फ सोनभद्र में है रसेल वाइपर
विश्व के सबसे जहरीले सांपों में जाने जाने वाले रसेल वाइपर की प्रजाति उत्तर प्रदेश के एकमात्र सोनभद्र जिले में ही पाई जाती है। पिछले दिनों सोनभद्र के पकरी गांव में हवाई पट्टी पर रसेल वाइपर को देखा गया था। रसेल वाइपर जिले के बभनी म्योरपुर व राबर्ट्सगंज में देखा गया है। इसके अलावा दक्षिणांचल में भी यह नजर आया था।
आस्ट्रेलिया में निरस्त की जा चुकी है खनन प्रक्रिया
विश्व के सबसे जहरीले सांपों की कई प्रजातियां आस्ट्रेलिया के जंगलों में भी पाई जाती हैं। वन्य जीव प्रतिपालक संजीव कुमार के मुताबिक दुर्लभ प्राजति के सांपों के अस्तित्व को देखते हुए आस्टे्रलियां में भी कोयले की खदान खनन प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। माना गया कि यदि खनन पर रोक नहीं लगाई तो यहां मौजूद दुर्लभ प्रजति के सापों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।












