इस गाँव में किन्नर रात भरकरते है नृत्य, वजह है सबसे अगल…

यहां किन्नर गांव की खुशहाली के लिए रात भर नाचते हैं
-उदयपुर में है एक गांव
-इलोजी के सामने किन्नर करते हैं सुख-समृद्धि की कामना

उदयपुर । उदयपुर में एक गांव ऐसा है जहां होली के दूसरे दिन किन्नर गांव की खुशहाली के लिए रात भर नाचते हैं। इसे उनकी गांव के प्रति श्रद्धा और वात्सल्य ही माना जा सकता है कि इस परम्परा के वे बरसों से निर्वहन कर रहे हैं। बुधवार रात को भी रात भर इस गांव के कबूतर चौक जहां इलोजी का स्थान है, वहां यह परम्परा निभाई गई।

जी हां, यह गांव उदयपुर जिले का वल्लभनगर गांव है जिसे ऊंठाला भी कहते हैं। यहां होली के दूसरे दिन जिसे जमरा बीज कहा जाता है, यहां किन्नर समाज की गादीपति के नेतृत्व में किन्नर नाचते हैं। यहां की गादीपति राणी बाई बताती हैं कि पिछली पांच पीढिय़ों से इस परम्परा का उन्हें ध्यान है, जबकि यह परम्परा उससे भी पहले से चली आ रही है। यहां किन्नरों की मेवाड़ की सबसे महत्वपूर्ण गादी ‘ऊंठाला गादी’ है जिसकी मौजूदा गादीपति वे हैं। वे कहती हैं, गांव की सुख-समृद्धि, खेत-खलिहान में बरकत, हर गांववासी की खुशहाली, बच्चों की अच्छी जगह शादी आदि कामनाओं को लेकर किन्नर समाज यहां होली के दूसरे दिन जमरा बीज पर रात को इलोजी के समक्ष नाच-गान करते हैं और उनसे गांव के सर्वशुभ के लिए कामना करते हैं।

बुधवार रात परम्परानुसार ग्रामीण युवा-बुजुर्ग ढोल की थाप के साथ पारम्परिक जयकारे लगाते हुए किन्नर समुदाय की गादीपति को कबूतर चौक में होने वाले आयोजन में पधारने के लिए न्यौता देने गए। इसके बाद गादीपति राणी बाई के साथ निम्बाहेड़ा से आईं रेशमा, ब्यावर से आईं पायल व किरण बाई तथा वल्लभनगर की ही अन्नू भी सज- धज कर कबूतर चौक में पहुंचीं। उनके पहुंचने पर उनकी ग्रामीणों ने ससम्मान अगवानी की और उन्होंने वहां शीतला माता मंदिर के बाहर चबूतरी पर स्थापित इलोजी की प्रतिमा के समक्ष मत्था टेककर आयोजन की शुरुआत की। कार्यक्रम में पुराने सदाबहार गीतों पर उन्होंने प्रस्तुतियां दीं, उनकी प्रस्तुतियों को देखने बड़ी संख्या में गांव की महिलाएं भी मौजूद थीं।

गावं के 70 वर्षीय शंकरलाल माली पुत्र चैनराम माली याद करते हुए बताते हैं कि राणी से पहले गौरी, गौरी से पहले सरदार भू और उनसे गुलाब बा किन्नर गादीपति थी जिनके सान्निध्य में यहां यह परम्परा निभती आई है। ग्रामीण उनका पूरा सम्मान करते हैं, उनसे आशीर्वाद लेते हैं। हर सुख-दुख में गांव के एक परिवार की तरह ही वे भी हिस्सा होती हैं।

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