प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान की वसूली को योगी सरकार ले आई अध्यादेश, कैबिनेट ने लगाई मुहर

लखनऊ । प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने भी शुक्रवार को मुहर लगा दी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज लोक भवन में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश 2020 पारित किया गया। इसके तहत अब प्रदेश में धरना प्रदर्शन के दौरान यदि सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उसकी क्षतिपूर्ति की जाएगी।

कैबिनेट बैठक के बाद प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि धरना और प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसानों की भरपाई के लिए अभी तक जो कार्रवाई होती थी, वह एक शासनादेश के तहत की जाती थी। उन्होंने बताया कि शीर्ष न्यायालय ने भी इसके लिए कानून बनाने की बात की है।

श्री खन्ना ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी वर्ष 2007 के रिट याचिका में विशेष रूप से कहा था कि अवैध प्रदर्शनों व हड़ताल के दौरान उपद्रवियों द्वारा सार्वजनिक व निजी संपत्तियों का नुकसान किया जाता है। ऐसे में उपद्रवियों से संपत्ति के नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश 2020 का प्रस्ताव रखा गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि सरकार अब इस अध्यादेश के तहत जल्द ही नियमावली भी लाएगी।

योगी सरकार के इस अध्यादेश को लखनऊ के पोस्टर मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने के आरोपितों का पोस्टर और होर्डिंग लगाया गया है। उच्च न्यायालय ने इन्हें 16 मार्च तक हटाने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ योगी सरकार उच्चतम न्यायालय चली गई। वहां उसे स्टे नहीं मिला बल्कि शीर्ष अदालत ने मामले को बड़ी बेंच में स्थानांतरित कर दिया।

इस मामले में अदालत की यह टिप्पणी है कि यह कार्रवाई किस कानून के तहत की गई है। ऐसे में सरकार इस मामले में कानून बनाना चाहती है। चूंकि इस समय विधानसभा का सत्र नहीं है, इसलिए सरकार इसे अध्यादेश के रूप में लेकर आई है। बाद में इसे विधानसभा से पारित करवा कर कानून का रुप दिया जाएगा।

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