
9वीं में पढ़ने वाले एक छात्र ने अपनी अध्यापिका को प्रेम पत्र लिख दिया। तूल पकड़ने पर मामला थाने तक पहुंचा, तो आरोपी छात्र के पिता ने स्कूल में बेटे की गलती मानते हुए मामले को शांत करवा दिया और स्कूल से बेटे का नाम भी कटवा दिया।
ऐसा लग रहा था कि मामला खत्म हो गया, लेकिन उस समय मामला और गंभीर हो गया, जब आरोपी छात्र के पिता ने अपने बेटे की गलती से मुकरते हुए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा- दो लेडी टीचर्स उसके बेटे से नफरत करती हैं। इनका तबादला किया जाए और मेरे बेटे का एडमिशन फिर से हो।
9वीं के छात्र द्वारा लिखे प्रेम-पत्र की कहानी, पीड़िता अध्यापिका की जुबानी:
”मैं रोज की तरह बच्चों को पढ़ा रही थी। पीरियड खत्म होने की घंटी बजी। मैं टीचर्स रूम में चली गई। चूंकि वहां पर कोई नहीं था। मैं कुर्सी पर बैठ गई। पांच मिनट गुजरा ही होगा कि नौवीं (बी) में पढ़ने वाला एक छात्र आया और उसने मेरे टेबल पर एक पेपर रखकर चला गया। मैंने पेपर उठा कर देखा तो वह प्रेम पत्र था। मुझे यह हरकत बिल्कुल भी नागवार गुजरी। मैं प्रेम पत्र लेकर प्रिंसिपल के पास गई। उन्होंने लेटर देखा। उन्होंने सबसे पूछा यह लेटर किसने लिखा। कमरे में आए लड़के ने बताया कि उसने तो सिर्फ वह लेटर पहुंचाया है उसने नहीं लिखा। प्रिंसिपल ने लेटर की हैंड राइटिंग से पत्र लिखने वाले आरोपी छात्र को पहचान लिया।”
शिकायत पत्र में पिता ने लिखा- स्कूल की दो लेडी टीचर्स मेरे बेटे से नफरत करती हैं: स्कूल की दो अध्यापिकाओं ने लड़के का नाम बिना वजह काट दिया है। दोनों टीचर स्कूल में अच्छी तरह नहीं पढ़ाती हैं। दोनों अध्यापिकाएं बेटे से नफरत करती हैं। यही नहीं उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर लड़के को फिर से स्कूल में दाखिल करने की मांग की।
पिता ने कहा था- मामला थाने में मत ले जाओ, मैं बेटे की तरफ से माफी मांगता हूं : यह बहुत दुखद है। छात्र के पिता ने खुद गलती स्वीकार करते हुए कहा था कि वह बेटे का नाम कटवा रहे हैं। उन्होंने मामला पुलिस में न ले जाने का निवेदन किया था। स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट मांगने पर हमने वह भी दे दिया । अब वह मुकर रहे हैं और पत्र लिखकर दाखिला देने के लिए कह रहे हैं।















