क्या वास्तव में भूत होता है या सिर्फ भ्रम। इस वैज्ञानिक युग में भी गोरखपुर जिले का एक थाना ऐसा है जहां छोटी सी चूक बड़ी घटना को दावत दे देते हैं यही वजह है पुराने पुलिस वालों से लेकर अब तक यहां पर लॉकअप का इस्तेमाल ही बंद कर दिया गया है। लॉकअप वर्षों से खाली है। काम चलाने के लिए थानेदार के ऑफिस को ही लॉकअप बना दिया गया है।
थाने में जमकर बवाल किया
भूत का तो पता नहीं लेकिन इस थाने में जब भी लॉकअप का इस्तेमाल हुआ बड़ा अपशगुन हुआ। 11 साल पहले शाहपुर क्षेत्र के सुनील साहनी को लॉकअप में बंद किया गया था। अगली सुबह उसका शव कुसम्ही जंगल में मिला था। तब सुनील के परिजनों ने थाने में जमकर बवाल किया। गुस्साई भीड़ ने असुरन पुलिस चौकी फूंक दी। आरोप था कि चोरी के आरोप में पकड़े गए सुनील को पुलिस ने बेरहमी से पीटा जिससे उसकी मौत हो गई। फिर शव को कुसुम्ही जंगल में फेंक दिया। मामले में तत्कालीन थानेदार श्रीप्रकाश गुप्ता सहित कई निलंबित किए गए। इसके बाद से लॉकअप को अशुभ मान लिया गया।
ऐसी पांच घटनाओं के बाद जो भी थानेदार आया
कुछ थानेदारों ने इक्का-दुक्का अभियुक्तों को बंद किया। संयोग से उनमें से किसी ने हाथ की नस काट ली तो किसी ने गर्दन पर हमला कर खुदकुशी की कोशिश की। ऐसी पांच घटनाओं के बाद जो भी थानेदार आया, किस्से सुनने पर यही कहा कि लॉकअप में किसी को बंद नहीं किया जाएगा। शाहपुर थाना 1980 में बना। तब से 2006 तक वहां नौ लोगों की मौत हुई। थाने के निर्माण में छत की शटरिंग गिरने के दौरान कई मजदूर घायल हो गए थे। इसमें तीन की मौत हो गई थी। थाना बनकर तैयार हो गया पर मौतों का सिलसिला जारी रहा। ज्यादा बवाल तीन मौतों को लेकर हुआ था। 31 जनवरी 2001 को राजेश शर्मा नाम के एक व्यक्ति की पिटाई के बाद लॉकअप में मौत हो गई। तत्कालीन थानेदार संजय सिंह के साथ ही तीन सिपाहियों पर हत्या का केस दर्ज हुआ। शाहपुर थाने के लॉकअप में वर्ष 2006 के बाद से ही कोई बंद नहीं किया जाता है। अनहोनी से बचने को किसी की सलाह से थाने में ही हनुमान मंदिर बना दिया गया।