जिस गुड़िया के जन्म पर कोसा परिवार और समाज, आज दी जाती है उसकी मिसाल

हमारे भारतीय समाज में यूँ तो लड़की होकर पैदा होना ही अपने आप में सबसे बड़ा अभिशाप है लेकिन किन्नर के रूप में जन्म लेना तो पाप है। लोग किन्नरों को यूँ तो हर शुभ मौके पर अपने घरों में आने की अनुमति दे देते हैं लेकिन उन्हें समाज में कोई जगह नहीं मिलती है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपकी भी आँखें नम होजायेगी और आप भी ये सोचने पर मजबूर होजाएंगे की आखिर ये भारतीय समाज जो अपनी मिसालें दिया करता है वो आखिर अपने ही समाज के एक वर्ग के साथ इतनी क्रूरता कैसे दिखा सकता है।

समाज के तानों से तंग आकर घर छोड़ने का ले लिया फैसला

हम जिसकी कहानी आपको बताने जा रहे हैं वो दरअसल बनारस के गावं की रहने वाली है। इसका गुड़ियाँ है, चूँकि गुड़िया ने एक किन्नर के रूप में जन्म लिया था इसलिए बचपन से लेकर युवा अवस्था तक उसे घरवालों से लेकर समाज तक के ताने सुनने पड़ते थे। एक दिन उन्हीं तानों से तंग आकर उसने अपना घर छोड़ने का फैसला ले लिया। आनन फानन में गुड़ियाँ ने घर छोड़ तो दिया लेकिन कुछ सालों के बाद बाहर भी उसे जीवन यापन का कोई श्रोत नहीं मिला तो वो वापिस अपने घर बनारस लौट आयी।

घर लौटने पर उसे पता चला की उसके माँ बाप की मृत्यु हो चुकी और उसके परिवार में ले देके सिर्फ उसका बड़ा भाई और भाभी ही बचे थे। भाई ने गुड़ियाँ को बनारस के ही गाने वाले एक किन्नर समूह में भर्ती करवा दिया जहाँ वो घर घर जाकर गाना बजाना करके कुछ पैसे कमा लेती थी। लेकिन नसीब को ये भी मंजूर नहीं था कुछ दिनों बाद एक घटना में गुड़ियाँ का पूरा शरीर आधा से ज्यादा गया जिसके बाद उसका गाने बजाने का काम भी छूट गया।

आज बन गयी है समाज के लिए मिसाल

गाने बजाने का काम छूटने के बाद गुड़ियाँ ने ट्रेन में भीख माँगना शुरू कर दिया। किस्मत ने गुड़िया को ऐसा दिन तो दिखा दिया लेकिन गुड़िया ने ट्रेन में मांगे गए पैसों को धीरे-धीरे जमा करना शुरू कर दिया और एक पॉवरलूम लगया। गुड़िया के इस काम में उसके भाई भाभी ने भी उसकी खूब मदद की इसी कर्ज को उतरने के लिए गुड़िया ने अपने भाई के दिव्यांग बेटी को पलने पोषने का जिम्मा उठाया और उसके साथ ही एक और बच्ची को भी गोद लिया। आज की डेट में गुड़िया दोनों बच्चियों को अच्छे से पढ़ा लिखा भी रही है और साथ ही पॉवरलूम के काम भी शिखा रही है ताकि आगे चलकर उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो और दोनों बच्चियां अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। वाकई में गुड़िया की इस मेहनत और लगन को हम सलाम करते हैं।

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