
सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज कितनी गंभीरता से किया जा रहा है इसका एक उदाहरण शुक्रवार को मध्य प्रदेश में गुना के जिला अस्पताल में सामने आया है. यहां पहली लापरवाही पर्चा काउंटर पर सामने आई. यहां एक पुरुष मरीज को महिला बना दिया गया. दूसरी बड़ी गलती ईसीजी रूम में सामने आई. यहां ईसीजी तो मरीज की ही की गई लेकिन उसे जो रिपोर्ट दी गई वह किसी अन्य मरीज की दे दी गई.
जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती अरविंद सोनी ने बताया कि गुरुवार को अचानक उसकी तबियत ज्यादा खराब हो गई. तेज घबराहट के साथ पसीना व चक्कर आने लगे थे. गंभीर हालत में परिजन उसे रात में ही जिला अस्पताल लाए. जहां पर्चा काउंटर पर मौजूद ऑपरेटर ने मरीज का नाम, पिता का नाम, उम्र तथा एड्रेस पूछा. जिसके बाद उसे पर्चा दिया तो उसमें मरीज का नाम तो सही था लेकिन पिता का नाम पति के कॉलम के आगे लिख दिया गया. उम्र के कॉलम में 40 साल उम्र दर्ज की गई.
इसके बाद ईसीजी कराई गई, जिसमें मरीज का नाम दर्ज नहीं था. यही नहीं उम्र के रूप में 50 साल दर्ज थी. जबकि मरीज के पर्चा में उम्र 40 साल दर्ज की गई है. दो अलग अलग पर्चों में जानकारी भिन्न होने से मरीज व परिजनों को समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने जो ईसीजी कराई है तथा उन्हें ईसीजी की जो रिपोर्ट दी गई है वह मरीज अरविंद की है या फिर किसी अन्य मरीज की.
पीड़ित मरीज ने बताया कि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी उन्हें देखने आए डॉ गौरव तिवारी को दी तो उन्होंने मौके पर ही गलत ईसीजी रिपोर्ट को फाड़ दी तथा फिर से ईसीजी कराने के लिए कहा. साथ ही उनसे कहा कि वह वे बिना इलाज कराए यहां से न जाएं.
बता दें कि गुना जिला अस्पताल में इलाज में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले एक मरीज को तकलीफ हाथ में थी जबकि डॉक्टर ने उसे पैर का एक्सरे लिख दिया था. इसके अलावा मेटरनिटी वार्ड में मरीज के सैंपल बदलने के कई मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा इन लापरवाहियों के मामलों को गंभीरता से न लेने के कारण ही लगातार गलतियां सामने आ रही हैं.














