
नबी अहमद
रूपईडीहा/बहराइच। लगभग तीन माह से विश्व व्यापी कोविड 19 को लेकर भारत नेपाल के बीच अवागमन तो बंद है। परन्तु भारत से नेपाल को निर्यात होने वाले ट्रकों, कंटेनर्स व टैंकरों की नेपाल जाने के लिए लगातार कतार देखी जा रही है।
तीन माह पूर्व यह हालात नही थे। जब भारत नेपाल के बीच सुलभ अवागमन था। इस बीच कालापानी, लिपुलेक व लिम्पियाधुरा को लेकर नेपाल सरकार ने इसे अपना दिखाते हुए एक प्रस्ताव पारित कर दिया है। नेपाल से लगी बिहार बार्डर पर एक भारतीय नागरिक की नेपाली सुरक्षा बलों द्वारा हत्या कर दी गयी थी। यही नही नेपाली संसद ने भारत से व्याह कर गयी लड़कियों के लिए सात वर्ष तक नागरिकता न देने का बिल भी पास कर दिया है। इससे इण्डो नेपाल बार्डर पर भारत नेपाल के बीच सदियों से चले आ रहे रोटी बेटी के सम्बंधों पर भी भारी असर पड़ रहा है।
कही पूर्व की भांति बार्डर पूर्ण रूपेण सील न हो जाये। नेपाल के व्यापारी भारी मात्रा मे सभी प्रकार के खाद्यान्न, बिल्डिंग मैटेरियल, विद्युत उपकरण व पेट्रोलियम पदार्थ नेपाल मे डम्प कर रहे है। भारत सरकार भी इस मुद्दे पर मौन है। नेपाल सीमा से लगे भारतीय क्षेत्रों मे सन्नाटा पसरा है। भारतीय क्षेत्र की सीमावर्ती अधिक्तर दुकानों के गत तीन माह से शटर ही नही उठ रहे है। नेपाली ग्राहकों पर निर्भर भारतीय बाजारों के व्यापारियों मे मायूसी छायी हुई है। जबकि आवश्यक वस्तुए ट्रक, टैंकर व कंटेनर्स से भारत सरकार नेपाल जाने वाले किसी भी माल पर किसी भी प्रकार का टैक्स नही लेती है। जबकि भारतीय व्यापारियों व छोटे दुकानदारों को जीएसटी व इनकम टैक्स देना पड़ता है। इसीलिए नेपाल का व्यापारी भारतीय क्षेत्र से भारी मात्रा मे नेपाल मे माल डम्प कर रहा है।










