दिल्ली/हिसार। हरियाणा के मिर्चपुर गांव में 2010 में एक विवाद के बाद दलितों के घर जलाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुना दिया। इसमें हाईकोर्ट ने 20 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इनमें से कुछ को ट्रॉयल कोर्ट ने बरी कर दिया था। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने मिर्चपुर कांड में दोषी ठहराए गए पंद्रह आरोपियों में से घर जलाने वाले तीन को उम्रकैद और आगजनी के पांच दोषियों को पांच-पांच वर्ष कैद समेत 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
पढ़िए क्या था विवाद
घटना 21 अप्रैल, 2010 की है। जब गांव में कुछ जाट युवक वाल्मीकि समाज की ओर से गुजर रहे थे, जिन्हें देखकर वहां कुत्ते भौंकने लग गए। इन युवकों को असमय इन कुत्तों का भौंकना रास नहीं आया। आम दिनों की तरह ही मामला गाली-गलौज से होता हुआ मार-पीट तक पहुंच गया, जिसमें कर्णपाल और वीरभान नामक दलित युवक बुरी तरह जख्मी हो गए थे। मामला यहीं तक होता तो गनीमत थी, लेकिन हालात उस वक्त और भी बेहद खतरनाक बन गए, जब 400 के करीब जाट समुदाय के लोगों ने दलितों के घरों को चारों ओर से घेर लिया और आग लगा दी। जलते घरों में एक सोलह साल की विकलांग बच्ची सुमन और उसके पिता ताराचंद की जिंदा जलने से मौत हो गई। 25 घर जले थे और 52 लोग घायल हो गए थे। बाद में गांव में सीआरपीएफ की कंपनी तैनात कर दी गई, लेकिन जनवरी, 2011 को 130 से ज्यादा दलित परिवारों ने गांव से पलायन कर दिया था।
हरियाणा में सुनवाई न होकर दिल्ली में हुई मामले की सुनवाई
घटना हरियाणा में हुई थी लेकिन उसके बावजूद इस पूरे मामले की सुनवाई पहले दिल्ली की निचली अदालत और फिर दिल्ली हाईकोर्ट में हुई। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुआ क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को लगा कि दलितों से जुड़ें इस मामले की ठीक से सुनवाई हरियाणा में नहीं हो सकती और इस मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित करना आसान होगा अगर सुनवाई हरियाणा में ही हुई। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार ने इस पूरे मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया था।
2011 में रोहिणी कोर्ट ने ये सुनाया था फैसला
2011 में दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने अपने फैसले में 82 आरोपियों को बरी कर दिया था। जबकि 15 को दोषी बताते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। मामले में कुल 97 लोग आरोपी थे। बाकी बचे दंगा भड़काने के 7 आरोपियों को डेढ़ साल की सजा मिली और एक वर्ष के प्रोबेशन पर 10-10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया था जबकि 82 आरोपियों को बरी कर दिया था।