लखनऊ। केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को कार्य बहिष्कार किया। करीब सात सौ डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार करने से केजीएमयू कर रीढ़ टूट गई। मरीजों का हाल भी बेहाल था। रेजीडेंट डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें भी एसजीपीजीआई के समान वेतन भत्ता दिया जाए।
मंगलवार को बड़ी संख्या में रेजीडेंट डॉक्टरों ने कुलपति एमएलबी भट्ट से मुलाकात भी की। इस मुलाकात में आश्वासन के साथ ही कुछ रेजीडेंट डॉक्टरों ने कहा कि धमकी मिली है कि अगर उन्होंने कार्य बहिष्कार बंद नहीं किया तो एस्मा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यरत रेजीडेंट्स चिकित्सकों के समान वेतनमान की मांग कर रहें केजीएमयूके रेजीडेंट्स चिकित्सकों ने मंगलवार सुुुुबह से कार्य बहिष्कार करने का निर्णय कर लिया रेजीडेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी चिकित्सकों का आरोप है कि पीजीआई के समकक्ष वेतनमान की मांग बीते ढाई साल से कर रहें हैं, जिसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री के आश्वासन के बावजूद हम रेजीडेंट्स लोगों को बराबर वेतनमान नहीं मिल रहा है।
इस दैरान दिनभर केजीएमयू में कार्य बहिष्कार के चलते मरीजों और तीमारदारों को दर-दर भटकना पड़ा वहीं कुछ लोगो ने एम्बुलेन्स और अपने साधन से अपने गंभीर मरीजों को अन्य अस्पताल पहुंचारा।
एक दिन का कटा वेतन
कार्य बहिष्कार कर रहे रेजीडेंट डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्य हमने मजबूरन कार्य बहिष्कार किया है। हमने एसजीपीजीआई के समान वेतन की मांग की है लेकिन हमारा एक दिन का वेतन (मंगलवार का) काट लिया गया है।
तीन साल से कर रहे मांग
आरडीए के अध्यक्ष जितेंद्र ने बताय कि हम लोग यह मांग तीन साल से कर रहे हैं। अभी तक हर बार यही आश्वासन मिलता आ रहा है कि एक सप्ताह में हो जाएगा लेकिन तीन साल हो गए समस्या का समाधान नहीं हुआ है। वीसी कहते हैं कि काम करो इस मुद्दे पर बात होगी।
मांग पूरी नहीं, कार्य बहिष्कार जारी रहेगा
रेजीडेंट डॉक्टरों ने बताया कि हमारी मांगे पूरी होने तक यह कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। मंगलवार को कार्य करने के बाद ही कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया गया था। मरीजों को कंसल्टेंट देख रहे हैं।
24 घंटे इमरजेंसी रहेगी
रेजीडेंट डॉक्टरों के कार्य बहिष्कर के बाद ओपीडी में मरीजों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। डॉक्टरों का कहना है कि आईसीयू और इमरजेंसी की सेवाएं दी जा रही हैं। डॉक्टरों ने बताया है कि हम लोग रूटीन काम नहीं करेंगे। यदि ओपीडी या इमरजेंसी में जरूरत पड़ी तो सभी डॉक्टर मरीजों को देखेंगे।
बलरामपुर अस्पताल पहुंचने लगे गंभीर मरीज
डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के बाद सभी गंभीर मरीज बलरामपुर अस्पताल की ओ रुख करने लगे। यहां अस्पताल में बढ़ती मरीजों की भीड़ को देखते हुए बलरामपुर अस्पताल के निदेशक राजीव लोचन ने खुद ही मोर्चा संभालने में जुट गए। यहां पहुंचे मरीजों को तत्काल ही उपचार मुहैया कराया गया। निदेशक ने इमरजेंसी में 8 डॉक्टर व 8 सिस्टर की ड्यूटी लगाई जबकि पहले सिर्फ 3 डॉक्टर व दो सिस्टर की ड्यूटी लगती थी।