
भारत में बाल विवाह गैर-कानूनी हैं, लेकिन क्या हो जब ये बच्चे जिन्दा नहीं बल्कि मरे हुए हो? ऐसी ही एक अजीब घटना केरल के कसरागोड जिले में हुई हैं. यहाँ ‘प्रथा कल्याणं’ नाम की रस्म के चलते दो मरे हुए बच्चो का विवाह कर दिया गया. आइए विस्तार से जाने क्या हैं पूरा मामला…
मृत बच्चों के पुतले बना कर की शादी
29 ओक्टूबर को केरल के कसरागोड जिले में रमेश और सुकन्या नाम के बच्चो का विवाह रचाया गया. इस विवाह की सबसे अजीब बात यह थी कि ये दोनों ही बच्चे बचपन में मर चुके थे. लेकिन ‘प्रथा कल्याणं’ नामक रस्म को पूरा करने के लिए दोनों बच्चो के परिवार वालो ने उनके पुतले बनाए और दोनों की शादी कर दी. इतना ही नहीं इन पुतलो को शादी के जोड़े से सजाया गया, दुल्हन के गले में मंगलसूत्र पहनाया गया और आपस में फूलों की वर-मालाएँ भी पहनाई गई. इसके बाद लोगो को शादी में खाना भी खिलाया गया.
अंधविश्वास या भावनात्मक रिश्ता?
जहाँ एक तरफ बाहरी लोग इसे अंधविश्वास कहेंगे तो वहीँ दूसरी और यहाँ के स्थानीय लोगो का कहना हैं कि इस शादी के जरिए उनके घर वाले बच्चों का सम्मान कर रहे हैं.
इस शादी में सरिक हुए कसरागोड जिले के शिक्षक Sajirag P P का कहना हैं कि “मैं इस अनोखी शादी में सरिक होने के लिए काफी उत्सुक था. लेकिन शादी देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि ये एक अंधविश्वास से कही बढ़कर हैं. आप मृत बच्चो के प्रति जुड़ी माँ बाप की भावना को साफ़ देख सकते हैं. उन्हें विश्वास था कि इस शादी को अंजाम देने से उनके बच्चो की आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी.”
क्या हैं प्रथा कल्याणं?
प्रथा कल्याणं के अनुसार उन मृत बच्चों की आपस में शादी करवाई जाती हैं जो 18 साल के होने से पहले मर जाते हैं. यहाँ के लोगो का मनना हैं कि जब तक इन मृत बच्चो की शादी नहीं करवाई जाती हैं तब तक इनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती हैं.
उदाहरण के लिए यदि कोई भ्रूण का गर्भपात हो जाता हैं या किसी बच्चे की परिवार में मौत हो जाती हैं, और कुछ सालों बाद किसी अन्य बच्चे की शादी ब्याह में दिक्कते आने लगती हैं तो ऐसे में ये लोग पंडित के पास जाते हैं जो उने मृत बच्चे की शादी करने की सलाह देता हैं. पंडित के अनुसार वो मृत बच्चा पृथ्वी पर शादी के विलास को भीगे बिना ही चल बसा हैं जिस से उसकी आत्मा भटकती रहती हैं. ऐसी स्थिति में उस मृत बच्चे की रस्मो रिवाज से शादी करवा कर उसकी आत्मा को मुक्ति दी जा सकती हैं.















