डीएम साहब ! ऐेसे तो सड़ जायेंगे दरवाजे और खिडिकियां तथा ध्वस्त हो जायेगी बिल्डिंग


– प्राथमिक विद्यालय कुरसण्डा के कक्षों में भरा पानी

किशनी/मैनपुरी- इसे कुरसण्डा के बच्चों की बद्किस्मती कहा जाय या शिक्षा विभाग के अधिकारियों का नकारापन कि अनेकों बार स्कूल की बदहाल स्थित के बारे में अखबारों में लिखने के बाद भी किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।


   प्राथमिक विद्यालय कुरसण्डा उन गिने चुने बदहाल विद्यालयों में से एक है जहां पर बच्चों के बैठने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल के प्रांगण की जमीन इतनी निचली है कि वहां पर जरा सी बरसात में पानी भर जाता है और मैदान तरणताल बन जाता है। पानी के निकास की भी कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल का शौचालय हो या अतिरिक्त कक्ष सभी पानी में डूबे रहते हैं। बच्चे जूते हाथों में लेकर कपडे जंघाओं तक ऊपर करके स्कूल आ पाते हैं तथा कई बार फिसल कर पानी में गिर कर भीग जाते हैं। चूंकि यह कोरोना का संक्रमण काल चल रहा है। इसलिये आजकल बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हंै। परन्तु यदि बच्चे स्कूल आ रहे होते तो क्या होता ? एक दिन पूर्व हुई थोडी सी बरसात में ही पानी स्कूल के कमरों के अन्दर तक भर गया है।

इससे जहां लकडी के दरवाजे इत्यादि सडने के करीब आ गये हैं वहीं स्कूल की बिल्डिंग को भी खतरा पैदा हो गया है। जब स्कल के अध्यापकों से पानी के बारे में कहा जाता है तो एक ही जबाव मिलता है कि हम क्या करें। गौरतलब है कि स्कूल में पानी जाने की यह पहली घटना नहीं है। पिछले दो वर्षों से हालात जस के तस हैं। ग्राम प्रधान ने भी स्कूल में कुछ ट्रॉली मिट्टी डलबाने की जहमत नहीं उठाई। दूर दराज का इलाका पड जाने के कारण कोई अधिकारी भी स्कूल नहीं जाता है। गांव के लोगों ने जिलाधिकारी से स्कूल की हालत पर ध्यान देने की मांग की है।

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