
- पैन्गोंग झील के फिंगर एरिया से सशर्त हटने का प्रस्ताव रखा
- चीन ने सीमा पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली भी की तैनात
नई दिल्ली, । चीन लगातार कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बावजूद दोहरी चाल चल रहा है। अब उसने एक तरफ भारत के सामने पैन्गोंग झील के फिंगर एरिया से सशर्त हटने का प्रस्ताव रखा है तो दूसरी तरफ युद्ध की तैयारी तेज कर रहा है। पिछले 20 दिनों में चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक भारत की सीमा से लगे अपने क्षेत्र में सात एयर बेस पर बड़े पैमाने पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात की हैं। चीन ने सीमा पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली भी तैनात कर दी है।
फ्रांस से आये लड़ाकू विमान राफेल को अब ऑपरेशनल मोड में पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तैनात किये जाने की आशंका में चीन को हवाई हमले का डर सताने लगा है। सेटेलाइट से मिली तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि चीन लद्दाख लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे अपने इलाके में सात हवाई ठिकानों पर बड़े पैमाने पर सतह से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइलें तैनात की हैं। इसके अलावा चीन ने सर्फेस टू एयर मिसाइल की साइटों का भी तेजी से विकास किया है। चीन का मकसद जरूरत पड़ने पर दोनों देशों के बीच हवाई अंतराल को बंद करना है। यह भी इनपुट मिला है कि चीन ने रूस से 2018 में मिले मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 को भी भारत से लगी सीमा पर तैनात किया है।
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ने सेटेलाइट की नई तस्वीरों से खुलासा किया है कि भारत के हवाई हमले के खतरे को देखते हुए चीन भारत से लगी सीमा के हर कोने में अपनी मिसाइलों को तैनात कर रहा है। यही नहीं भारत से तनाव को देखते हुए अपने पुरानी मिसाइलों और प्रणाली को अपग्रेड करने में जुट गया है। चीन ने लद्दाख से सटे अपने रुटोग काउंटी, नागरी कुंशा एयरपोर्ट, उत्तराखंड सीमा पर मानसरोवर झील, सिक्किम से सटे शिगेज एयरपोर्ट और गोरग्गर हवाई ठिकाने, अरुणाचल प्रदेश से सटे मैनलिंग और लहूंजे में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात की हैं। इन ठिकानों पर चार से पांच मिसाइल लॉन्चर तैनात हैं। इसके अलावा उनकी मदद के लिए रेडॉर और जेनेटर भी दिखाई दे रहे हैं। कुछ तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीनी मिसाइलें भारत से होने वाले किसी हवाई हमले के खतरे को देखते हुए पूरे अलर्ट मोड में है।
दूसरी तरफ चीन ने भारत को सशर्त प्रस्ताव दिया है कि वे फ़िंगर 4 क्षेत्र से अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए तैयार हैं, लेकिन भारत भी उसी दूरी और संख्या में अपने सैनिकों को पीछे हटाए। भारत ने इस चीनी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है और 5 मई से पहले स्थिति को बहाल करने की मांग की है। लगातार कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बावजूद चीन के अड़ियल रुख और युद्ध की तैयारी को देखते हुए एक रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि भारत को चीन के साथ किसी भी बैठक या शांति वार्ता से बचना चाहिए जब तक कि चीन सीमा से पीछे नहीं हट जाता है। हमें पहले हमले के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि चीन ने कुछ अलग करने की योजना बनाई है जैसा कि हम देख सकते हैं।














