अपनी ही शादी में नहीं पहुंच सका सेना का जवान, आर्मी ने कहा- देश सबसे पहले..

सेना के जवान अपनी जिंदगी में देश के लिए कैसी-कैसी कुर्बानियाँ देते हैं, इसकी मिसाल कश्मीर की बर्फबारी में फँसे उस जवान ने पेश की, जो अपनी ही शादी के दिन घर नहीं पहुँच सका। देश की रक्षा में जुटा जवान हिमाचल के मंडी का रहने वाला है और भारी बर्फबारी की वजह से कश्मीर से निकल नहीं सका। मंडी निवासी जवान सुनील के इस जज्बे को पूरा देश सलाम कर रहा है।

पाकिस्तान से लगे रजौरी बॉर्डर पर तैनात 26 साल के सुनील का विवाह 15 जनवरी 2020 को दलेड़ में तय हुआ था। 16 जनवरी को बारात दलेड़ आने वाली थी परंतु भारी बर्फबारी के कारण सुनील घर नहीं पहुँच पाया। श्रीनगर के पास पाकिस्तानी सीमा पर तैनात सैनिक सुनील की छुट्टी एक जनवरी से शुरू होने वाली थी और वह घर आने के लिए बांदीपुरा क्षेत्र के ट्रांजिट कैंप पर पहुँच चुके थे, लेकिन बर्फबारी के कारण सड़कें बंद हो गईं। दोनों परिवारों में विवाह की तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी थीं परंतु जवान के तय समय पर ना पहुँचने के बाद दोनों पक्षों के परिजनों ने निर्णय लिया है कि शादी अब आगे शुभ मुहूर्त देखकर होगी।

रविवार (जनवरी 19, 2019) को सुनील के भाई विक्की ने बताया कि सुनील मंगलवार (जनवरी 21, 2019) को घर आ रहा है। यह खुशी की बात है। दोनों पक्ष दोबारा बैठकर शादी की नई तारीख तय करेंगे और उसके बाद धूमधाम से शादी होगी। भारतीय सेना के चिनार कॉर्प्स ने रविवार को सेना के बहादुरी को सलाम करते हुए ट्वीट करके कहा, “जिंदगी इंतजार करेगी यह वादा है। भारतीय सेना का एक जवान कश्मीर घाटी में भारी बर्फबारी की वजह से अपनी शादी में नहीं पहुँच सका। चिंता मत करिए जिंदगी इंतजार करेगी। देश हमेशा सबसे पहले है। दुल्हन के परिवार वाले नई तारीख के लिए राजी हैं। एक सैनिक की जिंदगी का बस एक और दिन।”

सुनील के तय समय पर घर न पहुँचने की जानकारी मिलने पर दुल्हन के चाचा संजय कुमार ने कहा था कि शादी की सभी तैयारियाँ दोनों परिवारों ने की थी। उन्होंने आगे कहा था, “हमारे सभी रिश्तेदार भी पहुँच गए थे। सभी सुनील का इंतजार कर रहे थे, सबको उसकी फिक्र थी। वह सीमा पर देश की सेवा में जुटा है, इस बात की वजह से हम उस पर गर्व करते हैं। अब तो एकमात्र विकल्प यही है कि शादी की तारीख को बढ़ा दिया जाए।”

उल्लेखनीय है कि कश्मीर में तैनात सैनिकों की जिम्मेदारी और चुनौती सर्दियों में काफी बढ़ जाती है। भारी बर्फबारी के बावजूद सैनिक सीमा पर चौकन्ने रहते हैं। इसके साथ ही आम नागरिकों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दिसंबर-जनवरी में भारी बर्फबारी की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होता है।

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