
चीन की चालबाजी ने उसे बर्बादी के रास्ते पर ला दिया है. दुनिया में हर जगह उस पर पाबंदियां कसी जा रही है. गलवान घाटी के विवाद के बाद से भारत ने तो उसे हर मोर्चे पर करारी शिकस्त दी है. सीमा पर भारतीय जवान तो उसकी छीछालेदर कर ही रहे हैं, इसके अलावा भारत उसे आर्थिक झटकों पर झटके दे रहा है. इस कड़ी में भारत ने PUBG समेत 118 टेक ऐप बैन कर दिए है. मोदी सरकार ने अबतक कुल 224 चीनी ऐप पर पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा दूसरे सेक्टर में काम कर रहीं चीनी कंपनियों के पर कतर दिये गए हैं. अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में चीनी कंपनियों पर नकेल कसी है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फैसला लिया है कि अब चीन की कोई भी कंपनी उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी प्रोजेक्ट में टेंडर नहीं डाल पाएंगी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी विभागों से इस पर प्रतिबंध लगाने को कहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार की नजर उन जापानी, अमेरिकी और यूरोपिय कंपनियों पर हैं, जो अब चीन से बाहर निकलने की सोच रही हैं.
इस आदेश के अंतर्गत, सरकारी खरीद में कुछ निश्चित देशों के बिडर्स या कंपनियों के शामिल होने पर रोक के संबंध में सभी विभागों से आवश्यक कार्यवाही करने को कहा गया है. इस मामले में योगी सरकार की ओर से प्रदेश के सभी विभागों को एक पत्र भेजा गया है।
इस आदेश में पीपीपी यानी, पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप वाली परियोजनाएं, राज्य द्वारा संचालित परियोजनाएं, सार्वजनिक उपक्रम और निगमों के साथ ही स्थानीय निकायों की परियोजनाएं और सरकारी खरीद भी शामिल हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले से निपटने के लिए अब प्रदेश सरकार एक सक्षम प्राधिकरण तैयार करेगी। इस प्राधिकरण के तहत संबंधित देशों की कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. पहले इन कंपनियों को रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से राजनीतिक सहमति के अलावा गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी अनुमति लेनी होगी. इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी.
हर तीन माह के अंतराल पर राज्य की ओर से एक रिपोर्ट इस कंपनी को लेकर केंद्र को भेजी जाएगी. प्राधिकरण के पास इस बात का विवरण रहेगा कितनी कंपनियों के आवेदन आए, कितनों के निरस्त किए गए और कितने आवेदन मंजूर किए गए. केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की रक्षा के लिए इस तरह के कदम उठाए गए हैं.













