रूस का ड्रैगन को बड़ा झटका, लड़ाई में भारत का साथ देने का कर दिया ऐलान

चीन के साथ सीमा विवाद के भारत को दुनिया में बड़ा समर्थन मिला है. दुनिया के कई देश खुलकर हिन्दुस्तान के साथ ही नहीं आए बल्कि चीन पर भड़के भी है. इन देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सबसे आगे रहे हैं. अब रूस ने भी साफ कर दिया है कि वो भारत की अभिन्न दोस्त है और आगे भी रहेगा. रूस ने सीधे तौर तो चीन के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की लेकिन उसने कूटनीतिक फैसलों से साफ संदेश दे दिया है कि युद्ध की स्थिति में भारत के साथ ही रहेगा.

भारत-चीन विवाद के दौरान रूस ने ना सिर्फ खुलकर भारत की मदद की है, बल्कि भारत के दुश्मनों को कोई सहायता प्रदान करने से भी साफ मना किया है. इस वक्त जहां लद्दाख में भारत-चीन के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है, तो ऐसे में रूस और भारत मिलकर मलक्का स्ट्रेट के पास निकोबार द्वीपों में सैन्य अभ्यास कर रहे हैं. भारत ने इस वर्ष SCO के तहत रूस में होने वाले कावकाज सैन्य अभ्यास में जाने से इंकार कर दिया था. उसके बाद भारत ने रूस को बंगाल की खाड़ी में सैन्य अभ्यास करने के लिए बुलाया, जिसे भारत के मित्र रूस ने ठुकराया नहीं, और 4 सितंबर को यह सैन्य अभ्यास शुरू भी हो चुका है. इस सैन्य अभ्यास की टाइमिंग और जगह से यह साफ है कि भारत और रूस मिलकर चीन को कड़ा संदेश भेजना चाहते हैं.

भारत-चीन विवाद में पाकिस्तान की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे में रूस ने चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी बड़ा झटका देने का काम किया है. पहले तो रूस ने चीन को एस-400 की सप्लाई देने से साफ मना कर दिया, उसके बाद भी रूस का पेट नहीं भरा तो रूस ने भारत को साफ कर दिया कि वह चीन के साथी पाकिस्तान को एक भी हथियार नहीं बेचेगा. दुनिया को पता है कि पाकिस्तान अपने हथियार भारत के खिलाफ ही इस्तेमाल करता है. अभी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के दौरे पर हैं, इसी दौरान रूस ने भारत को यह जानकारी दी है. बता दें कि भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है. भारत ने पहले ही रूस के साथ एस-400 की सप्लाई को लेकर समझौता किया हुआ है, जिसको लेकर रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि कोरोना के बावजूद भारत को एस-400 पहले से तय समय पर ही दिये जाएंगे. रूस द्वारा निर्मित एस-400 दुनिया में सबसे बेहतर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है. ऐसे में रूस ने चीन और पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत के साथ अपनी दोस्ती को जाहिर कर दिया है.

15 जून को भारत-चीन के बीच खूनी संघर्ष के बाद भारत ने रूस से फाइटर जेट्स की खरीद के लिए आपात ऑर्डर दिया था, जिसे Russia ने तुरंत स्वीकार कर लिया था.

रूस जहां चीन और पाकिस्तान को हथियार बेचने में आनाकानी कर रहा है, तो वहीं वह खुलकर भारत को हथियार देने से पीछे नहीं हट रहा है। रूस के इस फैसले पर चीन में कई नागरिकों ने रूस के खिलाफ रोष भी जताया था. एसीएमपी की रिपोर्ट के मुताबिक एक चीनी यूजर ने लिखा था “आपको कैसा लगेगा कि आप अपने दुश्मन से लड़ाई लड़ रहे हैं, और तभी आपका दोस्त आपके दुश्मन को चाकू पकड़ा दे.”

4 सितंबर को जिस प्रकार चीनी रक्षा मंत्री ने रुस में मौजूद भारत के रक्षा मंत्री से बैठक के लिए गुहार लगाई थी, उससे भी यह अंदेशा है कि खुद रूस ने ही चीन पर भारत से बैठक करने के लिए दबाव बनाया हो. चीन अक्सर किसी भी बैठक से पहले सामने वाली पार्टी पर दबाव बनाने के लिए आक्रामकता दिखाता है, ताकि वार्ता की मेज पर चीन का प्रभाव बना रहे. हालांकि, रूस में बैठक से पहले लद्दाख में भारत ने चीन पर बढ़त बनाई हुई थी और भारत के रक्षा मंत्री ने चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के दौरान भी अपने हाव-भाव से बयां कर दिया था कि भारत अब चीन के सामने आंख उठाकर ही बात करेगा. चीन भारत के खिलाफ इसलिए भी बैकफुट पर है, क्योंकि अक्सर हर मुद्दे पर उसे समर्थन देने वाला रूस भारत के मामले में खुलकर चीन का विरोध कर रहा है और वह भारत की भाषा बोल रहा है.

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