
द्रोपदी महाभारत की एक ऐसी पात्र है जिस पर जितना लिखा जाए उतना कम है| ये तो सभी जानते है की द्रौपदी ने स्वंयवर में विजयी होने पर अर्जुन से विवाह किया था| लेकिन बाद में कुंती के भूल के कारण उसे पांचों पांडव से विवाह करना पड़ा वैसे सब ये जानते है की द्रौपदी पांडवों में सबसे अधिक अर्जुन से प्रेम करती थी| लेकिन आज मैं आपको कुछ साक्ष्य बताने जा रहा हूँ जिससे ये पता चलता है की द्रौपदी शुरू में तो अर्जुन से सबसे ज्यादा प्रेम करती थी लेकिन बाद में वो किसी दूसरे पांडव से सबसे अधिक प्रेम करने लगी| द्रौपदी ने उस पांडव को वचन भी दिया था की “मैं अगले जन्म में आपकी पत्नी बनूँगी|”
महाभारत कथा में कई ऐसी घटनाओं का विवरण किया गया है जो द्रौपदी के पांडवों के प्रति प्रेम को दर्शाता है| द्रौपदी हर सुख दुःख में उनके साथ खड़ी रही और किसी भी परिस्थिति में उसने पांडवों का साथ नहीं छोड़ा लेकिन लोग ये जानने को उत्सुक रहते है की द्रौपदी अपने पांचों पतियों में सबसे अधिक किससे प्रेम करती थी| तो आइये जानते हैं कि वो कौन पांडव थे जिससे द्रौपदी सबसे अधिक प्रेम करती थी|
1. पहला साक्ष्य :-
द्युत क्रीड़ा में द्रौपदी को दांव पर लगाने पर सबसे ज्यादा क्रोध भीम को आया था और भीम ने युधिष्ठिर का विरोध भी किया था| चीरहरण के समय जब युधिष्ठिर सहित अन्य पांडव मौन थे तब भीम ने क्रोध में आकर प्रतिज्ञा ले ली की “मैं दु:शासन की छाती का लहू पियूंगा और दुर्योधन की जंघा उखाड़ फेकूंगा” और महाभारत के युद्घ में भीम ने अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा भी किया था|
2. दूसरा साक्ष्य:-
जुए में अपना सब कुछ गंवाने के बाद जब पांडव वनवास की सजा काट रहे थे तब दुर्योधन के जीजा जयद्रथ ने द्रौपदी के साथ जबरदस्ती की और उसे रथ पर ले जाने का दुस्साहस भी किया लेकिन पांडवों ने द्रौपदी को जयद्रथ से बचा लिया| भीम ने जयद्रध की खूब पिटाई की और द्रौपदी के आदेश पर जयद्रथ के सिर के बाल मुंडवाकर उसको पांच चोटियां रखने की सजा दी|
3. तीसरा साक्ष्य :-
अज्ञातवास के दौरान सभी पांडव द्रौपदी सहित राजा विराट के राजमहल में भेष बदलकर रहे थे| उसी दौरान राजा विराट के साले कीचक ने अपनी वासना पूर्ति के लिए द्रौपदी को रात के समय अपने कक्ष में अकेले में बुलाया था |यह बात जब द्रौपदी ने भीम को बताई तो भीम उस रात द्रौपदी की जगह खुद कीचक के कमरे में पहुंच गए| द्रौपदी समझकर जैसे ही कीचक ने भीम को हाथ लगाया भीम ने कीचक का वध कर दिया था|
4. चौथा साक्ष्य :-
पांचों पांडव अपना राजपाट परीक्षित को सौंपकर स्वर्ग की कठिन यात्रा पर सशरीर निकल पड़े| इस यात्रा में भीम ने द्रौपदी का पूरा ध्यान रखा| कठिन चढ़ाई और कांटों भरे रास्ते में हर जगह भीम ने द्रोपदी को हरसंभव सहयोग किया| यात्रा के दौरान जब सरस्वती नदी के उदगम स्थल पर द्रोपदी नदी पार नहीं कर पा रही थी तो भीम ने एक बड़ा सा चट्टान उठाकर नदी के बीच में डाल दिया तब द्रौपदी ने इस चट्टान पर चलकर सरस्वती नदी को पार किया था| कहते हैं कि सरस्वती के उदगम पर आज भी इस चट्टान को देखा जा सकता है| इसे वर्तमान में भीम पुल के नाम से जाना जाता है| कहते हैं की यात्रा के दौरान रास्ते में एक जगह द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर गई|
द्रौपदी को गिरा देख भीम ने युधिष्ठिर से पूछा कि “द्रौपदी ने कभी कोई पाप नहीं किया तो फिर क्या कारण है कि वह नीचे गिर पड़ी?” युधिष्ठिर ने कहा- “द्रोपदी हम सभी में अर्जुन को अधिक प्रेम करती थीं| इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ जनश्रुति के अनुसार स्वर्ग यात्रा के दौरान द्रोपदी भीम का सहारा लेकर चलने लगी फिर भी द्रौपदी ज्यादा दूर नहीं चल पाई और वह भी गिरने लगी। ऐसे समय भीम ने द्रौपदी को संभाला तब द्रोपदी ने कहा, “सभी भाइयो में भीम ने ही मुझे सबसे ज्यादा प्यार किया है और मैं अगले जन्म में फिर से भीम की पत्नी बनना चाहूंगी|”















