चीन ने 50 लाख तिब्बतियों को बना लिया बंधुआ मजदूर, मिलिट्री कैंपों में रची जा रही साजिश

चीन ने सात दशक पहले तिब्बत कब्जा किया था. तब से अब तक तिब्बती आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन अत्याचारी चीन लगातार उनके कोशिशों को कुचलता आ रही है. चीन सरकार तिब्बती लोगों को उनकी जमीनों से दूर कर जबरदस्ती मजदूर बनाने के मिशन में जुटी है. चीन ने इसके लिए पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में मिलिट्री स्टाइल के ट्रेनिंग सेंटर्स को स्थापित किया है. जहां तिब्बत से लोगों को जबरदस्ती ले जाकर मजदूरी करवाई जा रही है. इन कैंप्स में मजदूरों को सरकार और देश के साथ वफादारी की ट्रेनिंग दी जा रही है.

चीनी सरकार ने तिब्बत समेत देश के अन्य हिस्सों से ग्रामीण मजदूरों के बड़े पैमाने पर ट्रांसफर का कोटा भी निर्धारित किया है. यह खुलासा चीन की सरकारी मीडिया की 100 से अधिक रिपोर्ट्स के आधार पर हुआ है. इन कैंप्स के जरिए चीन अपने उद्योगों के लिए सस्ते और वफादार श्रमिकों को पैदा कर रहा है. चीन पर पहले भी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक नियमों के उल्लंघन के कई गंभीर आरोप लग चुके हैं.

50 लाख तिब्बती बने बंधुआ मजदूर
तिब्बत की क्षेत्रीय सरकार की वेबसाइट पर पिछले महीने पोस्ट किए गए एक नोटिस में कहा गया है कि साल 2020 के पहले सात महीनों में परियोजना के हिस्से के रूप में लगभग 50 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है. यह इस क्षेत्र की आबादी का 15 फीसदी हिस्सा है. इनमें से 50000 लोगों को तिब्बत के अंदर ही अलग-अलग कंपनियों में काम करने के लिए भेजा गया है. जबकि, बाकी बचे लोगों को चीन के अन्य हिस्सों में ट्रांसफर किया गया है. इनमें से अधिकतर को कम मजदूरी वाले टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर के फील्ड में काम पर रखा गया है.

तिब्बतियों पर अबतक का सबसे बड़ा हमला
स्वतंत्र तिब्बत और शिनजियांग के एक रिसर्चर एड्रियन झेनज ने कहा कि 1966 से 1976 की चीन की सांस्कृतिक क्रांति के बाद से यह पारंपरिक तिब्बती आजीविका पर अबतक का सबसे मजबूत, सबसे स्पष्ट और लक्षित हमला है. इससे न केवल तिब्बती संस्कृति खत्म होगी बल्कि लोगों के सामने आजीविका का संकट भी खड़ा हो जाएगा. अमेरिका की जेम्सटाउन फ़ाउंडेशन की विस्तृत रिपोर्ट में भी कहा गया है कि यह तिब्बत के खानाबदोश और खेती करने वाले लोगों को दिहाड़ी मजदूर बनाने की साजिश है.

चीन ने तिब्बत पर किया था कब्जा
बता दें कि तिब्बत पर चीन ने 7 अक्टूबर 1950 को कब्जा कर लिया था. चीन इसे शांतिपूर्ण मुक्ति कहता है. तब से तिब्बत देश में सबसे प्रतिबंधित और संवेदनशील क्षेत्रों में से एक बन गया है. यहां के लोगों को चीन के मूल निवासियों की अपेक्षा मानवाधिकार तक नहीं दिए गए हैं. उनकी संस्कृति और कला को पिछले 70 साल से खत्म करने का काम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना कर रही है.

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