हमारे समाज में ऐसे कई लोग हैं जो अपना खुद का जीवन दांव पर रखकर समाज की सेवा करना ही अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य समझते है और उसे पूरा करने के लिए कसी भी हद तक जा सकते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कितनी ही मुसीबते क्यों ना झेलना पड़ जाये |आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले है जिन्होंने समाज सेवा करने के लिए कुछ ऐसा कदम उठाया है जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे |
आज जहाँ लोग दुनिया भर में शांति के समझौते को लेकर तरह तरह के प्रयास कर रहे है वही आज हम आपको एक ऐसे साधू के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने पूरी दुनिया में शांति कायम करने के लिए के ऐसा कदम उठाया है जिसके बाद पूरे विश्व में उनके चर्चे हो रहे है और वे अपने इसी निर्णय की वजह से देश और दुनिया में काफी लोकप्रियता हांसिल की है |
आपको बता दे हम जिस साधू की बात कर रहे है उनका नाम अमर भारती है और इन्होंने जो अनोखा कारनामा किया है वो हर किसी को आश्चर्यचकित कर रही है दरअसल साधू अमरभारती जी ने लगभग 46 वर्षों से अपना एक हाथ हवा में उठाया हुआ है जिसे उन्होंने कभी भी नीचे नहीं किया। अमर भारती अपने इष्ट भगवान शिव को मानते हैं और उन्हीं को मानते हुए इन्होंने यह कारनामा किया है.
अपने इस अनोखे कारनामे करने से पहले साधू अमरभारती जी बड़ी ही साधारण जिंदगी जी रहे थे |एक आम इन्सान की तरह इनका भी अपना घर परिवार था जिनके साथ ये बड़ी खुशी से अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे थे |जानकारी के मुताबिक साधू अमर भारती के परिवार में उनकी धर्मपत्नी है और उनके तीन बच्चे भी है लेकिन फिर ना जाने कैसे अमर भारती जी के मन में ये समाज के कल्याण की भावना जागृत हो गयी और इन्होने यह फैसला किया हालाँकि जब शुरू शुरू में इन्होने ये फैसला लिया था तब उनके साथ उनका पूरा परिवार उनके साथ खड़ा था|
लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया उनका परिवार उनके इस फैसले से नाराज हो गया और आज उनका परिवार और उनके बच्चे सभी पीछे छूट चुके हैं और साधु अमर भारतीय जी अपने फैसले पर अडिग रह कर अपने इष्ट भगवान शिव को मानते हुए भारत के सड़कों पर साधु के वेश में घूमते रहते हैं. साधु अमर भारती को साल 1973 में एक सपना आया और उन्होंने जिंदगी के सभी संसाधनों को छोड़ते हुए साधु के वेश को चुन लिया और आज भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं.
साधू अमर भारती अपने साथ केवल 1 त्रिशूल रखते हैं जो कि धातु का बना हुआ है. साल 1973 से साधु अमर भारती ने अपने हाथ को ऊपर किया हुआ है और उस समय उन्हें इसमें काफी तकलीफ होती थी लेकिन फिर बिह वे इस तकलीफ को नजरंदाज कर अपने हाँथों को ऊपर उठा कर रखते थे |
आज इतने दिनों के बाद साधू अमरभारती जी का हाथ बिल्कुल भी सामान्य नहीं रहा और अब वह चाहकर भी अपने हाथ को नीचे नहीं कर सकते और ना ही किसी काम में इस्तेमाल कर सकते है |आज इनके हाँथों पर गुरुत्वाकर्षण बल भी कम नहीं करता है जो बेहद ही हैरानी वाली बात है |