
कोरोना वायरस से बचने के लिए सभी कोई न कोई उपाय कर रहे हैं. सैइंटिस्ट्स, डॉक्टर्स और रिसर्चर्स कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं. सरकार भी कोरोना टेस्टिंग की रणनीति में बदलाव करती रहती है जिससे ज़्यादा से ज़्यादा कोरोना संक्रमित मामलों का जल्द पता लगाया जा सके. सरकार ने कोरोना को लेकर एक बार फिर से बदलाव किया है. अब तक कोरोना की टेस्टिंग के लिए, किसी डॉक्टर की पर्ची या इलाकों में प्रशासन से रैंडम जांच के साथ ही कोरोना का टेस्ट कराया जा सकता था. लेकिन अब कोई भी कोरोना की जांच करवा सकता है. किसी डॉक्टर की पर्ची या किसी मेडिकल ऑफिसर के आदेश की ज़रुरत नहीं होगी.
अस्पतालों में एक्यूट रेस्पेरेटरी इन्फेक्शन(एसएआरआई) से पीड़ित मरीज़ों की जांच होनी ज़रूरी है. एक आदेश में बताया गया कि कन्टेनमेंट जोन में काम कर रहे हैल्थवर्कर्स का टेस्ट होना ज़रूरी है. किसी व्यक्ति में लक्षण हो या न हों कोई भी अपनी जांच करा सकता है. जो लोग बीते 14 दिन में अंतर्राष्ट्रीय यात्रा करके आए हैं, उनमें भी सिम्पट्मैटिक के इलावा सभी की जांच होगी. किसी दुसरे राज्य या देशों से यात्रा करने वालों के लिए भी कोविड-19 होना ज़रूरी है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हेल्थ डिपार्टमेंट ट्रेसिंग और ट्रैकिंग भी करेगा. यह बदलाव आईसीएमआर(ICMR) द्वारा शुक्रवार को किए गए.
बता दें, शनिवार तक कोरोना के 40,23,179 मामलें हों चुके हैं जिसमें, 8,46,395 एक्टिवेस केसिस, 31,07,223 लोग ठीक हों चुके हैं और 69,561 लोगों की मौत ही चुकी है. एक प्रेस कांफ्रेंस में हेल्थ मिनिस्ट्री ने बताया कि तमिलनाडु में रोज़ 90 प्रतिशत से ज़्यादा आरटी-पीसीआर जांच हों रही है. आईसीएमआर के डायरेक्टर ने कहा था कि डब्लूएचओ ने रैपिड एंटीजन टेस्ट का उपयोग करने को लेकर भारत की सराहना की है.














