एबॉट 2026 तक 300 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को करेगा अपग्रेड

जिनसे पूरे भारत में लगभग 98 लाख लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा।

जमीनी स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी एबॉट 2026 तक 12 राज्यों में 300 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) को स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (HWCs) में बदलेगी।अमेरिकेयर्स इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से चल रहा यह प्रयास लगभग 98 लाख लोगों को लाभ पहुंचाएगा, जिससे उपेक्षित समुदायों को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुँच मिल सकेगी।

2022 में कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से, एबॉट अब तक 216 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सफलतापूर्वक अपग्रेड कर चुका है। यह पहल सरकार की आयुष्मान भारत योजना को सहयोग देती है, और व्यापक एवं सुलभ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के उसके प्रयासों को और मज़बूती देती है।

मुख्य उपलब्धियाँ: 2024 बनाम 2022

2024 के अंत में अपग्रेडकिए गए 127 पीएचसीका सर्वेक्षण करने से पता चलता है कि इन पीएचसीपर मरीजों का भरोसा और सेवाओं का उपयोग उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।

  • प्रयोगशाला परीक्षणों में लगभग 76% वृद्धिहुई जिससे, जिससे बीमारियों की जल्दी और सटीक पहचान संभव हुई।
  • उच्च रक्तचाप के मरीजों की विज़िट में 67% वृद्धि और मधुमेह रोगियों हेतु परामर्श सेवाओं में 59% वृद्धि,जिससे यह पता चलता है कि दीर्घकालिक बीमारियों का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा रहा है।
  • ओपीडी मरीजों की संख्या में 18% की बढ़ोतरी, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बढ़ते भरोसे को दिखाती है।
  • संस्थागत प्रसव में 9% बढ़ोतरी, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार साफ़ झलकता है।

अपग्रेड करने के ये प्रयास ऐसे समग्र दृष्टिकोण पर आधारित हैं, जिनकी नींव तीन प्रमुख स्तंभों पर टिकी है— इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, स्वास्थ्यकर्मियों की क्षमता वृद्धि, और समुदाय की भागीदारी। इस उद्देश्य के लिए कुछ विशेष कार्यक्रमों पर ध्यान दिया गया है जो इस प्रकार हैं:

  • इंफ्रास्ट्रक्चर उन्नयन:स्वास्थ्य केंद्रों का नवीनीकरण करने के लिए जल, स्वच्छता और हाइजीन (WASH) की अच्छी व्यवस्था करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अंतर्गत स्वच्छ पेयजल और अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था की गई है। साथ ही योग कक्ष और महिलाओं के लिए निजी जांच कक्ष जैसी विशेष सुविधाएँ भी जोड़ी जा रही हैं।
  • उपकरण उपलब्ध कराना:केंद्रों को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है, जिनमें ईसीजी मशीन, डिजिटल स्पायरोमीटर और आपातकालीन देखभाल व मातृ स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी साधन शामिल हैं। आपातकालीन सेवाओं में अब ऑक्सीजन सपोर्ट, डायलिसिस, इमरजेंसी स्टैबिलाइजेशन सेवाएँ, स्ट्रेचर, साथ ही ईएनटी और जेरियाट्रिक देखभाल के उपकरण भी सम्मिलित हैं।
  • स्वास्थ्यकर्मियोंहेतुप्रशिक्षण: पीएचसी कर्मचारियों और आशा कार्यकर्ताओं को 250,000 घंटे से अधिक का प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें गैर-संचारी रोग (NCD) की स्क्रीनिंग और संक्रमण नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया। अब तक पीएचसी स्तर के 4,388 स्वास्थ्यकर्मियोंऔर 5,460 आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

अंबाती वेणु, वाइस प्रेसिडेंट, एबॉट इंडिया ने कहा:“प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करने से लोगों के लिए न केवल सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच बढ़ रही है, बल्कि समुदायों में स्वास्थ्य सेवाएँ लेने की सक्रियता भी बढ़ रही है। इससे समय पर रोगों की पहचान और प्रभावी उपचार संभव हो रहा है, जो भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) के भारी बोझ को देखते हुए बेहद ज़रूरी है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं—अपग्रेड किए गए इन केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। यह पहल भारत में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के एबॉट के लक्ष्य के अनुरूप है।”

वी. एस. चंद्रशेखर, कंट्री डायरेक्टर, अमेरिकेयर्सइंडिया फाउंडेशन ने कहा:“अपग्रेड किए गए पीएचसी, सरकार की आयुष्मान भारत पहल के अनुरूप हैं और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए अधिक समानरूप से आसानी से उपलब्ध बनाकर भारत के रोग-भार को कम करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हमारा लक्ष्य इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी मजबूत करना, इनकी सेवा देने की क्षमता को बढ़ाना, स्वास्थ्य शिक्षा को प्रोत्साहित करना और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहायक बनना है।इन प्रयासों से ये केंद्र लोगों की स्वास्थ्य ज़रूरतों को जीवन के हर चरण में और बेहतर ढंग से पूरा कर सकेंगे।

स्थानीय प्रभाव के साथ राष्ट्रीय पहल

यह कार्यक्रम 12 राज्यों—महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और झारखंड—में लागू किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में अपग्रेड किए गए ये पीएचसी परिवारों को गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान करने, अस्पताल की अनावश्यक विज़िट से बचाने और उनके निवास स्थानों के नज़दीक ही सम्मानजनक तरीके सेचिकित्सा सुविधा पाने में मदद कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक के कुक्केहल्लिपीएचसी में महिलाओं के लिए बनाए गए अलग जांच कक्ष से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाहै और वे अब अधिक संख्या में इलाज के लिए आ रही हैं। वहीं झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में अपग्रेड किए गए एक पीएचसी ने मां बनने जा रही एक युवती को स्थानीय स्तर पर सुरक्षित प्रसव हेतु सुविधा दी, जिससे परिवार का समय और खर्च दोनों बचे।

जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं तकलोगों की पहुँच बढ़ाकर, ये केंद्र द्वितीयक और तृतीयक अस्पतालों का बोझ कम करते हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली अधिक कुशल और समावेशी बनती है। जैसे-जैसे और अधिक पीएचसी का अपग्रेड होते जा रहे हैं, यह नेटवर्क भारत में सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में एक मजबूत आधार बनता जा रहा है और स्वस्थ भारत का सपनासाकार करइसे करोड़ों लोगों के लिए रोज़मर्रा की हकीकत बना रहा है।

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