दैनिक भास्कर ब्यूरो
बरेली। स्मार्ट सिटी परियोजना में खरीदा गया महंगा उपकरण परीक्षण में जवाब दे गया। विभागीय लापरवाही, तकनीकी ज्ञान और सामंजस्य नहीं होने से डेमो करते समय जोरदार धमाका हो गया। किसी तरह वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार, तीन आईएएस और विभागीय चीफ इंजीनियर समेत बाल-बाल बच गए। धमाका दो बार हुआ, इससे मौजूद अधिकारी सहम गए। घटना से नाराज मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने जांच कराई जिसमें अधीक्षण अभियंता शहर, सिविल लाइन उपखंड अधिकारी और अवर अभियंता दोषी पाए गए हैं। इन तीनों को दोषी मानते हुए आरोप पत्र जारी कर दिया है, इससे विभाग में खलबली मची है। अवकाश में भी संबंधित अधिकारी उत्तर तैयार करने में जुटे रहे।
विभागीय लापरवाही से नाराज कमिश्नर ने कराई थी जांच, तीन इंजीनियर पाए गए दोषी
स्मार्ट सिटी परियोजना में बिजली संबंधी तमाम कार्य हुए हैं। लाइनें भूमिगत कर दी गई है। भूमिगत केबिल फॉल्ट तलाशने का कोई भी उपकरण नहीं था। इसलिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में करीब 80 लाख रुपए कीमत का केबिल फाल्ट लोकेटर उपकरण खरीदा गया। उसका परीक्षण 20 मार्च पूर्वान्ह 11.30 तय हुआ। रामपुर बाग स्थित बिजली उपकेंद्र यार्ड परिसर में अवैध रूप से उपकरण का डेमो किया गया। जिससे बड़ा हादसा हो गया विभागीय संविदा कर्मचारी और एक भाजपा नेता इसमें घायल हुआ उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, इस घटना से अफसर इतने सहमें हुए थे कि तुरंत जांच समिति गठित कर दी गई। खुद वनमंत्री ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और उच्च अधिकारी पावर कारपोरेशन से फोन पर बातकर कार्रवाई पर जोर दिया। उन्होंने कहा था कि स्मार्ट सिटी में हो रहे घटिया कामों की जांच भी जरूरी है।
अधीक्षण अभियंता, उपखंड अधिकारी जेई पर गिरी गाज
मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने जिलाधिकारी से इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी। डीएम शिवानंद द्विवेदी ने तुरंत अपर जिलाधिकारी (नगर) आरडी पांडे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बना दी। समिति रिपोर्ट पिछले माह कमिश्नर कार्यालय पहुंची। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने बरेली जोन चीफ इंजीनियर आरके शर्मा से कार्रवाई कर सप्ताह भर में कार्रवाई कर अवगत कराने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने आदेश मानने के स्थान पर रिपोर्ट प्रबंध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय प्रेषित कर उचित कार्रवाई का आग्रह किया। प्रबंध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने जांच आख्या मिलते ही तुरंत चीफ इंजीनियर आरती कटिहार और लेखा अधिकारी नीरज चतुर्वेदी को जांच कर आरोप पत्र तैयार करने और आगामी कार्रवाई के निर्देश दिए। दो सदस्यीय विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले दिनों आरोप पत्र जारी कर दिए हैं जिसमें अधीक्षण अभियंता (नगर) विकास सिंघल, एसडीओ विजय कनौजिया और जी रामबली वर्मा दोषी करार दिए गए हैं।
कमिश्नर द्वारा कराई गई जांच में विभागीय लापरवाही अज्ञानता और आपसी सामंजस की बेहद कमी पाई गई है जांच समिति अध्यक्ष अपर जिलाधिकारी नगर आरडी पांडे कोर्ट में तलब संबंधित अफसरों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं। अधीक्षण अभियंता विकास सिंघल ने लिख कर दिया कि इस पूरे प्रकरण में अधिशासी अभियंता तृतीय अनुज गुप्ता जिम्मेदार हैं क्योंकि उनको कार्यक्रम संपन्न कराने आदि की जिम्मेदारी दी गई थी जबकि जांच में शामिल हुए अधिशासी अभियंता अनुज गुप्ता ने वयान दिया कि उनका इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं है क्योंकि वे नगर विद्युत वितरण खंड तृतीय में तैनात है। उन्हें कार्यक्रम संबंधित जिम्मेदारी संभालने संबंधी आदेश भी सक्षम अधिकारी द्वारा नहीं दिया गया।
रामपुर बाग उपकेंद्र में हुआ था कार्यक्रम
रामपुर बाग स्थित उपकेंद्र परिसर में उद्घाटन और डेमो कार्यक्रम हुआ था। यह उपेंद्र नगर विद्युत वितरण खंड प्रथम आरके पांडे देखते हैं लेकिन वे उस दिन मेडिकल अवकाश पर थे कुल मिलाकर जांच अधिकारियों ने पाया कि आपसी तालमेल ना होना पाया गया। संबंधित जिम्मेदार अधिशासी अभियंता कार्यक्रम में ना होना। कौन क्या काम करेगा इसका भी कोई प्रबंध नहीं था। जांच समिति ने इसलिए अधीक्षण अभियंता नगर, सिविल लाइन एसडीओ और अवर अभियंता कठोर कार्रवाई पर जोर दिया है।
मशीन का नहीं कराया था परीक्षण
बिजली विभाग अफसरों ने कार्यक्रम से पहले मशीन का परीक्षण नहीं कराया था। मनमानी और लापरवाही इससे ज्यादा क्या होगी कि उद्घाटन और डेमो कार्यक्रम से पहले कोई ट्रायल नहीं किया गया। सीधे उद्घाटन और डेमो कार्यक्रम में वीवीआईपी बुला लिए। कोई तैयारी भी नहीं कराई गई थी। फोन पर ही विभागीय स्टाफ बुला लिया गया। उसे कुछ पता ही नहीं था कि कहां क्या होना है। कार्यक्रम में वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार, तीन आईएएस यानी कमिश्नर सौम्या अग्रवाल, नगर आयुक्त निधि गुप्ता, जिलाधिकारी शिवानंद द्विवेदी, विभागीय मुख्य अभियंता आरके शर्मा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
ठीक से डेमू ना करने पर धमाका हुआ, इससे अफरा-तफरी मच गई लोग इधर-उधर भागने लगे। हादसे में दो घायल हुए लोगों को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इससे विभागीय छवि धूमिल हुई है। विभागीय अफसरों की लापरवाही ही नहीं बल्कि आपसी तकनीकी अज्ञानता और आपसी सामंजस की बेहद कमी सामने आई है इसलिए कठोर कार्रवाई जरूरी है। जिससे कि आगे ऐसा फिर कभी ना हो पाए। यह भी चर्चा रही कि कहीं कुछ इस साजिश का कोई रिश्ता तो नहीं था।
सप्लायर कंपनी ने 19 जनवरी को किया था परीक्षण
प्रशासनिक जांच में विभागीय लापरवाही और सामंजस की कमी पाई गई। बताया जाता है उद्घाटन से पहले विभागीय अफसर अफसरों की मौजूदगी में केबिल फॉल्ट लोकेटर मशीन का परीक्षण कराया था इसकी रिपोर्ट भी तैयार हुई थी जिसमें संबंधित अधिशासी अभियंता और अवर अभियंता समेत तीन विभागीय अफसरों के हस्ताक्षर हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया मशीन रखरखाव की जिम्मेदारी सिविल लाइन अवर अभियंता की थी। कार्यक्रम से पहले कोई परीक्षण ना होना विभागीय तालमेल ना होने का खुलासा हुआ है।