नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद राघव चड्ढा के सस्पेंशन केस में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (3 नवंबर) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने राघव को राज्यसभा से उनके सस्पेंशन के मद्देनजर राज्यसभा सभापति से मिलने और बिना शर्त माफी मांगने का सुझाव दिया। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति (राज्यसभा सभापति) पूरे मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके आगे कदम उठा सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से दिवाली की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई करने को कहा। आप नेता पर दिल्ली सर्विस बिल पर 5 फर्जी साइन कराने का आरोप है। जिसके चलते राघव को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
जानिए क्या है पूरा मामला
राज्यसभा में 7 अगस्त को रात 10 बजे दिल्ली सर्विसेज (अमेंडमेंट) बिल पास किया गया था। इससे पहले चड्ढा ने बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया था। इस पर अमित शाह ने कहा- मोशन पर चड्ढा ने 5 सांसदों के फर्जी दस्तखत लगाए हैं। पांच सांसदों ने दावा किया था कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सिलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नाम का उल्लेख किया गया। विरोध दर्ज कराने वाले 3 भाजपा सांसद हैं। वहीं इनमें एक BJD और एक अन्नाद्रमुक सांसद भी शामिल हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी।
30 अक्टूबर : राघव के बेमियादी सस्पेंशन पर कोर्ट ने हैरानी जताई
राज्यसभा में 7 अगस्त को रात 10 बजे दिल्ली सर्विसेज (अमेंडमेंट) बिल पास किया गया था। इससे पहले चड्ढा ने बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया था। इस पर अमित शाह ने कहा- मोशन पर चड्ढा ने 5 सांसदों के फर्जी दस्तखत लगाए हैं। पांच सांसदों ने दावा किया था कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सिलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नाम का उल्लेख किया गया। विरोध दर्ज कराने वाले 3 भाजपा सांसद हैं। वहीं इनमें एक BJD और एक अन्नाद्रमुक सांसद भी शामिल हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी।
पांच सांसदों ने दावा किया था कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सिलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नाम का उल्लेख किया गया। विरोध दर्ज कराने वाले 3 भाजपा सांसद हैं। वहीं इनमें एक BJD और एक अन्नाद्रमुक सांसद भी शामिल हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी।
30 अक्टूबर : राघव के बेमियादी सस्पेंशन पर कोर्ट ने हैरानी जताई
सस्पेंशन केस में सुप्रीम कोर्ट में 30 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने राघव के बेमियादी सस्पेंशन हैरानी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को एक सत्र के लिए सस्पेंड किया जाता है। क्या चड्ढा की गलती उससे भी बड़ी है? कोर्ट ने राघव चड्ढा के वकील और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को संक्षिप्त दलीलें जमा करने को कहा था। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या आप सांसद के सदन से माफी मांग लेने से सस्पेंशन रद्द हो सकता है।
16 अक्टूबर – राघव के वकील बोले- जांच लंबित रहने तक किसी सांसद को सस्पेंशन क्यों
राज्यसभा से निलंबन केस में 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई हुई। राघव की तरफ से वकील राजेश द्विवेदी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि, किसी सांसद का निलंबन उस विशेष सत्र से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, जिसमें उसे निलंबित करने का फैसला लिया गया हो। यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है, क्या जांच लंबित रहने तक किसी सांसद को निलंबित करने का कोई औचित्य है?
10 अक्टूबर: राज्यसभा से सस्पेंशन के खिलाफ राघव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली
राज्यसभा से सस्पेंशन के खिलाफ राघव ने 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। निलंबन के बाद राघव ने कहा था- मेरा सस्पेंशन आज के युवाओं के लिए भाजपा की ओर से एक सख्त संदेश है: यदि आप सवाल पूछने की हिम्मत करेंगे, तो हम आपकी आवाज को कुचल देंगे। मुझे कठिन सवाल पूछने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
राज्यसभा से सदस्यता जाने से पहले आप नेता राघव चड्ढा के सरकारी बंगले को लेकर भी विवाद हो चुका है। राज्यसभा सचिवालय ने 3 मार्च को आप सांसद राघव चड्ढा के टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द करते हुए बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंचे थे। आप सांसद ने कोर्ट में बताया था कि बतौर सांसद अभी उनका कार्यकाल चार साल से ज्यादा समय का बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बहाल रखा, जिसमें राज्यसभा सचिवालय की कार्रवाई पर अंतरिम रोक को हटा दिया गया था। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनूप जे भंभानी ने कहा- राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ ट्रायल कोर्ट का वह आदेश बहाल रहेगा, जिसमें उसने सचिवालय को राघव से बंगला खाली ना करवाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक कि ट्रायल कोर्ट अंतरिम राहत के लिए AAP नेता के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता।
पिछले साल नवंबर में राघव चड्ढा टाइप-7 बंगले में शिफ्ट हुए थे
राघव चड्ढा को 6 जुलाई 2022 को दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित टाइप-6 बंगला नंबर C-1/12 अलॉट किया गया था। आप सांसद ने 29 अगस्त 2022 को राज्यसभा चेयरमैन से टाइप-7 बंगला अलॉट करने का आग्रह किया था। आप सांसद को 3 सितंबर 2022 को राज्यसभा कोटे से पंडारा रोड पर टाइप-7 बंगला नंबर AB-5 अलॉट किया गया। राघव चड्ढा 9 नवंबर 2022 को इस बंगले में शिफ्ट हुए थे।
राज्यसभा सचिवालय ने राघव चड्ढा को बंगले के लिए अपात्र बताया था
राज्यसभा सचिवालय ने आप सांसद राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले के लिए अपात्र बताया था। सचिवालय ने कोर्ट को बताया कि पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप-6 बंगला आवंटित किया जाता है। टाइप-7 बंगले में रहने का अधिकार उन सांसदों को है, जो पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। भाजपा सांसद राधा मोहन दास को भी टाइप-7 बंगले से टाइप-5 बंगले में भेजा गया था।आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा।