कुन्नूर (केरल): केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरन ने अडल्टरी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का मजाक उड़ाया है। कुन्नूर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मानसिक रूप से बीमार जज को फिर से अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए क्योंकि यह देश में पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ दिया गया फैसला है।’
सुधाकरन ने यह विवादित बयान दिया तो उस समय वहां कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ फिलहाल कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। अपने भाषण में सुधाकरन ने कहा कि यह निर्णय पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत को हमेशा से ही अपने पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर गर्व रहा है।
सुधाकरन यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा,
‘मानसिक रूप से बीमार जज ने यह दिखाया कि उन्हें भारत के पारिवारिक मूल्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं। उन्हें अपने फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए। पति अपनी पत्नी के प्रति जिम्मेदार नहीं है और पत्नी अपने पति के प्रति उत्तरदायी नहीं है। क्या जज में कुछ कमी तो नहीं है? क्या वह मानसिक रूप से बीमार हैं?’
सुधाकरन ने कहा कि हम भारतीय पूरे विश्व के सामने अपने पारिवारिक मूल्यों पर गर्व करते हैं। उन्होंने कहा कि जज को अपना दिमागी इलाज कराने की जरूरत है। यही नहीं सबरीमाला मंदिर पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायपालिका को धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं।
आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने गुरुवार को आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था। आईपीसी की धारा 497 पति की मौन सहमति अथवा उसकी सहमति के बिना एक शादी शुदा महिला से शारीरिक संबंध बनाने पर पुरुष को दंडित करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अडल्टरी (व्यभिचार) को असंवैधानिक बताते हुए उसे अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला सुनाया। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने बहुमत के फैसले में अडल्टरी को अपराध नहीं माना लेकिन कहा कि यह तलाक का आधार बन सकता है।