
चित्र परिचय : प्याज की फसल का निरीक्षण करते किसी वैज्ञानिक डॉ बी पी शाही और सूर्य बली सिंह
नानपारा/बहराइच l कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा बहराइच द्वितीय द्वारा बहराइच जनपद में पहली बार खरीफ प्याज प्रजाति लाइन 883 का प्रदर्शन कृषक के के खेतों पर लगाया गया है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर बीपी शाही ने कहा सब्जी की फसलों मैं प्याज एक महत्वपूर्ण स्थान है। बहराइच क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। यहां की जलवायु मृदा की अपार संभावनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए आमंत्रित करती है।
प्याज का उत्पादन अक्टूबर से लेकर के नवंबर तक किया जाता है। उस समय प्याज की कीमत प्रति किलोग्राम बहुत ज्यादा होती है। इससे किसान का उत्पाद खेत से ही बिक जाता है। अच्छी कीमत मिल भी मिल जाती है । बहराइच क्षेत्र के किसान को प्याज की अच्छी प्रजातियों के बारे में जानकारी ना होने से किसान पुरानी प्रजाति को निरंतर लगाते आ रहे हैं । साथ ही उचित तकनीक या ना होने की वजह से गुणवत्ता युक्त उत्पादन नहीं हो पाते हैं।
अच्छी आमदनी प्राप्त नहीं हो पाती है। उत्पादन के लिए प्रजाति का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है प्याज की प्रजाति जैसे एग्रीफाउंड डार्क रेड बीमार ऐड बीमा डार्क रेड लाइन 883 इत्यादि को अपने खेत पर लगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं । खरीफ मौसम में बीज की बुवाई जून पौधरोपण अगस्त से सितंबर मे खुदाई नवंबर दिसंबर तक करते हैं। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है । खरीफ मौसम में पानी रोकने की समस्या के कारण रोपाई ऊंची उठी क्यारियों में करनी चाहिए।
हरी प्याज की रोपाई के 60 दिन बाद तैयार हो जाती है जिसका इस समय कृषक के खेत से 30 से ₹35 प्रति किलोग्राम बिक रहा है। गाठो की खुदाई उस समय करते हैं जब पत्तियां का रंग थोड़ा सा पीला होने लगता है ऊपर से पत्तियां सूखने लगती हैं गाठो का रंग लाल हो जाता है तथा प्रजाति का सही आकार विकसित हो जाता है खुदाई के बाद पत्तियों सहित गानों की पत्तियों से टक्कर रखते हैं इससे कम में रंग तथा त्वचा का विकास होता है जिससे बाजार भाव अच्छा मिलता है पत्तियों को गानों के बहुत नजदीक से नहीं काटना चाहिए मुंह खुला रखने से रोगाणु आसानी से नुकसान पहुंचा सकते हैं । आता अपनी फसल को बचाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए l










