लखनऊ । बसपा प्रमुख मायावती के बाद अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बुधवार को निर्वाचन आयोग से लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर जो संदेह और विवाद पैदा हो गए हैं।
उससे चुनाव की सम्पूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर ही प्रश्नचिह्न लग रहा है। लिहाजा, ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव की मांग उठना स्वाभाविक है। इस पर भाजपा सरकार का अड़ियल रवैया अनुचित है। अखिलेश ने कहा कि आज राजनीतिक लाभ के लिए टेक्नोलाॅजी का दुरुपयोग खुलकर हो रहा है। ”टेक्नोलाॅजिकली लिटरेट” समाज को भी जमकर ईवीएम के दुरुपयोग पर अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए। चुनावी प्रक्रिया में मतपत्र का इस्तेमाल राज्य व नागरिक के बीच विश्वास के रिश्ते को पारदर्शी और मजबूत बनाता है। इस रिश्ते के बीच ईवीएम का आना उचित नहीं। मतपत्र से मतदाता को भरोसा रहता है कि उसने जिसे मत दिया है, वो उसी को मिला है।
Akhilesh Yadav, SP chief: If someone has raised a question then it must be thought that what is the reason that a developed country like Japan is not using EVMs. It is not a question of a political party, it's a question of trust in democracy. EC & govt should make a decision. pic.twitter.com/r5zvjDDInK
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 22, 2019
ये विश्वास ही लोकतंत्र की संजीवनी है। देश और लोकतंत्र के भविष्य के लिए न केवल यह जरूरी है अपितु स्वच्छ राजनीति और जनता में चुनावी प्रक्रिया की बहाली के लिए समय की पहली मांग भी है। पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि पिछले चुनावों और उपचुनावों में हजारों ईवीएम में खराबी की शिकायतें मिली थी। लम्बी-लम्बी कतारों में महिलाएं, नौजवान व किसान भरी धूप में अपनी बारी के इंतजार में भूखे प्यासे खड़े रहे। ये तकनीकी खराबी है या चुनाव प्रबंधन की विफलता या फिर जनता को मताधिकार से वंचित करने की साजिश।
इस तरह से तो लोकतंत्र की बुनियाद ही हिल जाएगी। अखिलेश यादव ने कहा कि लंदन में एक साइबर विशेषज्ञ ने जो दावा किया है, वह चैकाने वाला है। उसके अनुसार 2014 में लोकसभा चुनाव के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, सहित कई राज्यों में हुए चुनावों में ईवीएम के जरिए जबर्दस्त धांधली की गई। निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की दृष्टि से इस पर जांच पड़ताल निष्पक्ष एवं स्वतंत्र ढंग से किए जाने की जरूरत है। यह बेहद गंभीर मुद्दा भी है। यह पैसे की ताकत से सत्ता को हथियाने की खतरनाक साजिश है।