हिन्दू धर्म में वैशाख महीने का काफी महत्व होता है। मगर क्या आप जानते है कि इस महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि भी है जो अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी जाती है। जिसे हिन्दू धर्म में इस तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में जाना जाता है। इस दिन सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा तो है ही लेकिन इसके साथ ही अक्षय तृतीया के दिन कोई नया सामान खरीदना या फिर मांगलिक कार्यों का आयोजन करना भी काफी शुभ होता है।
इस साल यानी वर्ष 2019 में मंगलवार 7 मई को देशभर में अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाएगा। और इस अक्षय तृतीया की सबसे खास बात यह है कि इस दिन करीब एक दशक बाद चार ग्रहों का विशेष संयोग भी बन रहा है जो सभी लोगों लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। तृतीया तिथि छह-सात मई की भोर 3.22 बजे लग रही है जो सात -आठ मई की भोर 2.20 बजे तक रहेगी। इस बार यह तिथि बेहद शुभ संयोग संजोए है। स्थिर योग इसे बेहद खास बना रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार अक्षय तृतीया व स्थिर योग के संयोग से तिथि विशेष में व्रत-पर्व-दान और भी पुण्य फलदायी होगा।
दीवाली की तरह अक्षय तृतीया के दिन भी धन की देवी मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से घर धन धान्य से भर उठता है और सेहत भी अच्छी रहती है। अक्षय तृतीया के अवसर पर हम आपको कुछ टोटकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें करने से आपके घर में मां लक्ष्मी हमेशा विराजमान रहती हैं और आपको किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी नहीं होती है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरंभ माना जाता है इसलिए इस दिन किया गया दान पुण्य, स्नान, होम, ज्ञान आदि अक्षय हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए, और पापों से मुक्त हो जाना चाहिए। इस दिन स्वर्गीय आत्मा की सांत्वना के लिए घड़ी, पंखे, चावल दाल, नमक, चीनी, वस्त्र और मौसमी फल जैसे ककड़ी, खरबूजे आदि खरीद कर उनका दान करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि इस अवसर पर चीनी, चावल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी आदि का चांदी या अपनी सामर्थ्य के अनुसार धातु के बर्तन में भगवान कृष्ण के निमित्त दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया के दिन पूजा करते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गौरी मां की पूजा से गरीबी की समाप्ति भी होती है, इसलिए इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ पार्वती जी का पूजन करें। इसके अलावा अक्षय तृतीया से ही चारों धामों में प्रमुख श्री बद्री नारायण जी के पट खुलते हैं। इस दिन भक्तों को श्री बद्री नारायण जी के चित्र को सिंहासन पर रखकर मिश्री तथा भीगे हुए चने की दाल का भोग लगाना चाहि। साथ ही पूरी श्रद्धा से तुलसी जी की भी पूजा व आरती करनी चाहिए। वृंदावन में साल में केवल इसी दिन श्री बिहारी जी के चरण पादुका के दर्शन भक्तों को मिलते हैं।
अबूक्ष मुहूर्त
16 साल बाद अदभुत संयोग
जालंधर के ज्योतिषाचार्य पंडित आदित्य प्रसाद शुक्ला के मुताबिक माह भर तिथियों का घटना-बढना लगा रहता है जबकि, अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्र दोनों एक ही राशि में अपने चरम बिंदु पर होते हैं, जिससे इस दिन किए गए शुभ कार्य, खरीदारी, दान व पूजा का महत्व बढ़ जाता है। श्री हरि दर्शन मंदिर अशोक नगर के प्रमुख पुजारी पंडित प्रमोद शास्त्री बताते हैं कि अक्षय तृतीया पर इस बार 16 वर्ष बाद सूर्य, शुक्र, राहु व चंद्र उच्च राशि वृष में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही इसी दिन भगवान परशुराम का अवतार दिवस तथा त्रेता युग की शुरुआत का संयोग भी बन रहा है। ऐसा वर्ष संयोग वर्ष 2003 में बना था।