राखी पर बन रहा है अद्भुत संयोग, ऐसे मनाए रक्षा बंधन, जानें शुभ मुहूर्त

भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व  रक्षा बंधन इस बार गुरुवार 15 अगस्‍त को मनाया जा जाएगा। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।हिन्दू धर्म के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। इस खास दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख की कामना ईश्वर से करती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है.सावन में इसे मनाए जाने की वजह से श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षा का अर्थ सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य होता है।

बताते चले रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहनों  को राखी के बदले कुछ खास उपहार देता है। यह त्‍यौहार भाई और बहन के रिश्‍ते को और भी ज्‍यारा मजबूत बनाने के लिये मनाया जाता है। राखी कई तरह की हो सकती है जैसे कच्‍चे सूत की या रंगीन कलावे, रेशमी धागे या फिर सोने या चांदी की ब्रेसलेट आदि। इस साल रक्षा बंधन पर भद्रकाल नहीं पड़ रहा है इसलिये इसे किसी भी शुभ मुहूर्त में मनाया जा सकता है। जानकारी के लिए बताते चले इस दिन भद्रा नहीं है और न ही किसी प्रकार का कोई ग्रहण है, इस वजह से इस वर्ष का रक्षाबंधन शुभ संयोग वाला है।

रक्षाबंधन का मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 14 अगस्त को 15:45 बजे से हो रहा है। इसका समापन 15 अगस्त को 17:58 पर हो रहा है। ऐसे में बहनें भाइयों को 15 अगस्त के सूर्योदय से शाम के 5:58 तक राखी बांध सकेंगी।

राखी बांधते वक्‍त करें इन मंत्रों का जाप 
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इस श्लोक का अर्थ है- जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)

राखी बांधने की पूरी विधि- 
सबसे पहले पूजा की थाल तैयार कर लें। इस थाल में रोली, मिठाई, पान का पत्ता, कुमकुम,रक्षा सूत्र, अक्षत, पीला सरसों , दीपक और राखी रख लें। फिर भाई को तिलक लगाएं और उसके बाद दाहिने हाथ में राखी बांधें। इसके बाद भाई की आरती उतारें। इस दौरान दीप जरूर जला लें। फिर भाई को मिठाई खिला दें। भाई अगर आपसे बड़ा है तो उसका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। अगर छोटा है तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दें। अंत में पूजा की थाल को आप कुछ देर के लिए पूजा स्थान पर रख सकते हैं। दीप को अंत तक जलने दें और खुद न बुझाएं।

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