नई दिल्ली । छोटे बच्चे को अक्सर पढ़ाई में ध्यान लगाने में दिक्कत होती है। बहुत कम ही बच्चे होंगे, जो पढ़ाई के लिए खुद से आगे आते हैं। परेशानी तब खड़ी होती है, जब ये बच्चे बड़े हो जाते हैं और पढ़ाई में इनका ध्यान नहीं लगता। ऐसे में जरूरी है कि पेरेंट्स बचपन से ही बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें।
हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा खूब पढ़े और करियर में आगे बढ़ें लेकिन कुछ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं इस वजह से वो स्टडी पर पूरी तरह फोकस नहीं कर पाते। ये बच्चे पढ़ाई न करने के लिए अक्सर बहाना ढूंढते हैं। तो आइए जानते हैं पढ़ाई में कमजोर बच्चों की आदतें कैसे पहचानें।
माता-पिता की चाहत अपने बच्चों को सबसे आगे देखने की होती है
हमारे आसपास के माहौल का भी असर बच्चों की पढ़ाई और व्यवहार में दिखाई देता है, जो उन्हें पढ़ाई में कमजोर बनाता है। तो आइए जानें, पढ़ाई में कमजोर बच्चों की आदतों के बारे में।
पढ़ाई में कमजोर बच्चे की ये हैं आदतें
पढ़ाई में कमजोर बच्चे अक्सर स्कूल जाने से कतराते हैं और न जाने के अनेकों बहाने ढूंढते हैं। ऐसे बच्चे मम्मा मैं अभी बस ये काम कर लूं फिर पढूंगा कहकर हर बार टालमटोल करते हैं।
अधिकतर पढ़ाई में कमजोर बच्चे क्लास में पीछे बैठते हैं, साथ ही इनकी कोशिश रहती है कि मैम या सर उन्हें न देखें और न ही उनसे कुछ पूछें।
पढ़ाई में कमजोर बच्चे कभी भी अपना वर्क कम्पलीट नहीं करते हैं। इसका कारण है उनका खुद की पढ़ाई पर फोकस कम होना।
कमजोर बच्चे क्लास में एकदम शांत रहते हैं, साथ ही उनकी कोशिश होती है कि टीचर की नजर उनपर न पड़े, यहां तक कि अगर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो भी वे टीचर के पास नहीं जाते हैं।
अकेले में पढ़ाई करने की जिद करने वाले बच्चे हमेशा पढ़ने के लिए कोई अकेली जगह तलाशते हैं, जिससे उनपर किसी की निगाह न हो और वो मनचाही जगह मनमाने ढंग से अपनी पढ़ाई कर सकें। ऐसे में वे पढ़ रहे हैं या कुछ और कर रहे हैं इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है, फिर इसका असर उनकी पढ़ाई और जिंदगी दोनों पर ही पड़ता है।
कॉम्पिटिशन के इस युग में सबमें आगे रहने की होड़ लगी है। ऐसे में सभी माता-पिता की चाहत अपने बच्चों को सबसे आगे देखने की होती है, इसके लिए वो उनपर पढ़ाई ज्यादा करने का प्रेशर बनाते हैं और उनकी उम्मीदों पर खरे न उतरकर बच्चे हर चीज में पीछे रहने लगते हैं।
जब एग्जाम आता है,तब सालभर न पढ़ने वाले बच्चे सबकुछ एकसाथ तैयार करने की चाह में रटना शुरू कर देते हैं तो उन्हें समझ कुछ नहीं आता। यह आदत कमजोर बच्चों की निशानी है।
बिना योजना की पढ़ाई करने वाले बच्चे किसी भी सब्जेक्ट को अपना पूरा समय नहीं दे पाते और सारे सब्जेक्ट में पीछे रहते हैं, इसलिए वे हमेशा कमजोर ही रहते हैं।
ऐसे में कमजोर बच्चों के प्रति घर और स्कूल दोनों का ही फर्ज बनता है कि वे बच्चे को बहुत समझदारी से समझाएं और हमेशा प्रोत्साहित करें। वर्क हमेशा कंप्लीट कराएं। उनके टीचर बच्चों के नोट्स को हमेशा चेक करें। घर पर पेरेंट्स भी बच्चा क्या पढ़ रहा है, इस पर ध्यान दें।