
बहुत हुआ कार्य बहिष्कार, अब होगी चेतावनी रैली
हड़ताल के बीस दिन पूरे होने पर भी सरकार ने नहीं मानी मांगें, लिखित आदेश तक नहीं मानेंगी आशाएं
भास्कर समाचार सेवा
काशीपुर। दो अगस्त से चल रही आशा वर्कर्स की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रही, लेकिन राज्य की भाजपा सरकार बिल्कुल संवेदनहीन बनकर मूकदर्शक की तरह तमाशा देख रही है। शुक्रवार को हड़ताल के बीस दिन पूरे हो गए, लेकिन आशाओं के इतने लंबे व कठिन संघर्ष के बाद भी सरकार मासिक वेतन तो छोड़िए, मानदेय फिक्स करने तक को तैयार नहीं है। अब आज से राज्य में सभी जगहों पर जहां जहां धरने चल रहे हैं, वहां धरना स्थल पर इकट्ठा होकर सरकार को चेतावनी देने के लिए चेतावनी रैली निकाली जाएगी। यदि उसके बाद भी राज्य सरकार मासिक मानदेय को लेकर कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करती है तो आंदोलन को और तेज करते हुए आंदोलन के विभिन्न लोकतांत्रिक तरीकों को अपना कर आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि आशाओं के प्रति राज्य सरकार का रवैया क्षोभजनक है। कई कई बार आशाओं का प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक से मिलकर अपना पक्ष रख चुका है। कई दौर की वार्ता हो चुकी है और हर बार आशाओं की मांगों को लेकर सहमति जताने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा किसी भी फैसले पर न पहुंचना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। सरकार केवल बातों से आशाओं को बहलाना चाहती है और उनकी मासिक वेतन की प्रमुख मांग सहित अन्य मांगों को हल करने की सरकार की कोई मंशा ही नहीं है। यह सरकार फैसला लेने में देर करके आशाओं को उकसाने का काम कर रही है। आशाओं का आंदोलन शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीकों से ही चलेगा। इसीलिए आशाओं ने हड़ताल के बीस दिन पूरे होने पर चेतावनी रैली निकालने का निर्णय लिया है।
इस मौके पर यूनियन की अध्यक्ष स्नेहलता चौहान, चित्रा चौहान, सुधा शर्मा, उमा चौहान, धर्मवती, कमलेश सैनी, सुनीता चंद्रा, शशिवाला, ममता देवी, सोनी शर्मा, लक्ष्मी कश्यप, अंजू पाल, गुड्डी शर्मा, मधुवाला, सरिता सक्सेना, प्रभा देवी समेत बड़ी संख्या में आशा कार्यकत्री मौजूद रहीं।















