लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज सड़क से सदन तक छाये रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी। वहीं अपने लोकप्रिय नेेता के अस्थिकलश का स्वागत करने के साथ ही श्रद्घांजलि अर्पित करने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। इस यात्रा के दौरान पूरी योगी सरकार करीब ढाई किलोमीटर पैदल चलने के साथ ही अभूतपूर्व स्वागत किया। इस खास मौके पर दलीय बेडिय़ा भी टूट गयी, विरोधी दलों के शीर्ष नेता भी श्रद्घाजंलि सभा में पहुंचे।
लखनऊ में आज हर जुबा पर अटल बिहारी बाजपेयी की ही चर्चा होती रही। वहीं आज से आरंभ हुए विधानसभा के सत्र में भी उन्हें अभूतपूर्व श्रद्घांजलि अर्पित की गयी। विधानमण्डल के दोनों सदनों में आज पहले अटल को याद किया गया। सभी दलीय नेताओं ने उनके स्मरण सुनाते हुए उन्हें श्रद्घाजलि अर्पित की। इसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही २७ अगस्त को सुबह ११ बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। जबकि नियतम: सदन के पूर्व सदस्यों को ही विधान मण्डल के सदनों में श्रद्घाजलि अर्पित की जाती है। इसके साथ ही सरकार के सभी मंत्री एवं भाजपा के सभी विधायक विधान भवन में रुककर अपने प्रिय नेता के अस्थिकलश यात्रा के आने का इंतजार करते रहे।
मालूम हो कि अटल बिहारी बिहारी बाजपेयी का निधन गत १६ अगस्त को लंबी बीमारी के बाद हुआ था। उनका अस्थिकलश लेकर केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह एवं मनोज सिन्हा आज लखनऊ पहुंचे। अपने प्रिय नेता के अस्थि कलश का स्वागत करने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा, जिसके कारण आधा घंटे की यात्रा को तय करने में करीब छह घंटे का समय लग गया।
अमौसी एयर पोर्ट से हजरतगंज स्थित भाजपा कार्यालय तक आने में करीब तीन घंटे से अधिक समय लग गया। वहीं भाजपा कार्यालय पर प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने कलश यात्रा की अगवानी की। अस्थि कलश रथ पर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह एवं सीएम योगी आदित्यनाथ सवार थे। जब उनके सरकार के सभी मंत्री एवं विधायक पदल चल कर स्वागत कर रहे थे। इसी दौरान पूरा शहर इस अस्थि कलश यात्रा के स्वागत में उमड पड़ा। हालत यह रहे कि बाजार बंद होने एवं रास्ता अवरोध होने के बावजूद सड़क पर तिल रखने की जगह नहीं थी। \
यहां पर गोमती नदी के किनारे झूले लाल पार्क में अस्थिकलश के प्रवाह का कार्यक्र म रखा गया था। यहां पर भी लाखों की तादाद में लोग मौजूद रहे। इस दौरान खास बात यह रही इस लोकप्रिय नेता के अस्थि कलश यात्रा को अंतिम विदाई देेने में दलीय बंधन टूट गया। क्योंकि भाजपा के विरोध दल समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव स्वयं इस मौके पर खास मेहमान रहे। वहीं कांग्रेस प्रदेश राज बब्बर भी यहां मौजूद रहे। सूत्रों की माने तो इस मौके पर बसपा एवं रालोद के नेता भी मौजूद रहे। इन सभी नेताओं ने भी अटल के स्मरण सुनाते हुए उन्हें श्रद्घाजंलि अर्पित की।
अटल का जन्म भले ही ग्वालियर में हुआ था लेकिन उनका लखनऊ से प्रेम किसी से छिपा नहीं था। यहां से दो बार चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने यहां आना जाना कम नहीं बल्कि बढ़ा दिया और लखनऊ को उन्होनें अपनी कर्मभुमि बना लिया। इसका असर यह हुआ कि लखनऊ वासियों ने भी उन्हें अपनी पलकों पर बिठा लिया। १९९१ से लेकर २००९ तक पांच बार यहां से सांसद चुना इस दौरान वह तीन बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी आसीन हुए। शायद इसीलिए लखनऊ वासियों ने भी आज उनकी अस्थि कलश यात्रा में बढ़ चढ़ कर हिस्से लेेेने के साथ ही सृद्घासुमन अर्पित किया।