
औरैया। बिधूना नगर व क्षेत्र से एआरटीओ व पुलिस की मिलीभगत से प्रदेश के विभिन्न शहरों के लिए बिना परमिट एवं बिना अनुमति के एसी व सादा डबल डेकर 3 दर्जन से अधिक बसें अधिकारियों की नाक के तले सरेआम डग्गामारी कर सवारियां ढो रही है। अवैध रूप से हो रही डग्गामारी से जहां सरकारी राजस्व को प्रतिदिन हजारों रुपए का चूना लग रहा है। इन प्रभावशाली दबंग बस संचालकों व उनके एजेंटों द्वारा दिल्ली आदि मार्गों पर चलने वाली रोडवेज बसों से सवारियां उतार कर आए दिन रोडवेज कर्मियों के साथ बदसलूकी भी होती देखी जा रही है इसके बावजूद संबंधित अधिकारी इस ओर से चुप्पी साधे हुए हैं।
शिकायतों के बाद नहीं लग रहा अंकुश मोटी बधौरी वसूलने की चर्चा
वहीं अवैध बस संचालकों से मोटी बधौरी वसूले जाने की भी चर्चा आम है। जिससे क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों में नाराजगी भड़क रही है। इन दिनों बिधूना नगर के साथ ही आसपास के बेला अछल्दा याकूबपुर, कुदरकोट, वैवाह, एरवाकटरा, उमरैन, नेविलगंज, रुरुगंज, रामगढ़ आदि कस्बों से दिल्ली, गुड़गांव, जयपुर, भटिंडा पंजाब आदि विभिन्न शहरों के लिए एसी डबल डेकर व सादा डबल डेकर 3 दर्जन से अधिक बसें बिना परमिट बिना किसी सरकारी अनुमति के अवैध रूप से नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए एआरटीओ व पुलिस की सांठगांठ से प्रतिदिन सवारियां भरकर फर्राटे भरती नजर आ रही हैं।
सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि इन बसों के प्रभावशाली दबंग संचालकों व उनके एजेंटों का आलम यह है कि यह रोडवेज बसों में एक तो पहले ही सवारियां बैठने नहीं देते हैं और जो सवारियां बैठ भी जाती हैं उन्हें जबरन उतारने का प्रयास करते हैं जिससे रोडवेज कर्मियों व इन दबंग अवैध बस संचालकों के बीच कहासुनी एवं मारपीट की नौबत आती भी देखी जाती हैं। जनचर्चा तो आम यह है कि अवैध रूप से संचालन करने वालों से संबंधित अधिकारियों की सांठगांठ है और वह उनसे मोटी बधौरी वसूल रहे हैं शायद इसी कारण इस पर अंकुश नहीं लग रहा है।
इन बसों को सवारियां भरने के लिए चैराहों व भीड़भाड़ वाली सड़कों पर खड़ा कर दिया जाता है जिससे सड़क जाम होने से लोगों को भारी दिक्कतें भी उठानी पड़ती है। बसों की हो रही डग्गामारी के विरुद्ध आए दिन लोगों द्वारा आवाज उठाए जाने पर या कहीं बस दुर्घटनाएं होने पर कभी-कभी संबंधित अधिकारियों द्वारा एक दो बसों का चालान काटकर कागजी खानापूर्ति की रस्म अदायगी कर दी जाती है जिससे अवैध बस संचालक बेखौफ होकर बस संचालन के गोरखधंधे को अंजाम देने में जुटे हुए हैं वही इसके चलते जहां सरकारी राजस्व को चूना लग रहा है वहीं इस पर अंकुश लगाने वाले अधिकारियों की नियत पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।