औरैया । स्थानी नगर निकाय चुनाव में जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद के साथ ही सभी छह नगर पंचायतों में स्थानीय मुद्दे समस्याएं जातीयता की आंधी के आगे गौण नजर आ रहे हैं। तमाम ज्वलंत समस्याओं के मकड़जाल में फंसकर परेशानियां झेलने के बावजूद इन समस्याओं पर जातीयता भारी पड़ती नजर आ रही है और किसी का फायदा उठाकर चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशी जातीयता के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने हैं के प्रयासों में जूते नजर आ रहे हैं।
स्थानीय नगर निकाय चुनाव में नगर पालिका परिषद औरैया के साथ ही बिधूना अजीतमल बाबरपुर अछल्दा फफूंद दिबियापुर अटसू आदि नगर पंचायतों में यूं तो अतिक्रमण जलभराव कीचड़ गंदगी पेयजल जैसी तमाम ज्वलंत समस्याएं लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है और इन ज्वलंत समस्याओं के बावजूद नगर निकाय चुनावों में यह सभी स्थानीय समस्याएं व मुद्दे जातीयता के खुले खेल में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। चुनाव में देखने में आ रहा है कि प्रत्याशी अपनी अपनी जाति के मतदाताओं को जातियता की दुहाई देकर एकजुट करने के प्रयासों में जुटे दिख रहे हैं वहीं दूसरी ओर अन्य जातियों के मतदाताओं को साधने के लिए भी प्रत्याशियों द्वारा उन जातियों के ही अपने चहेते समर्थकों को लगाया जाते देखा जा रहा है।
पिछले कई चुनावों से देखने में आ रहा है इस जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद के साथ ही सभी छह नगर पंचायतों में अब तक के सभी निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों की अपेक्षा जाति समीकरण ही चुनाव की हार जीत में निर्णायक साबित होते नजर आए हैं और यही कारण है कि सभी प्रत्याशियों का जोर जातिगत समीकरणों को भुनाने के साथ ही अन्य जातियों के मतदाताओं को लुभाने के लिए हर हथकंडे अपनाने के भी प्रयास किए जाते देखे जा रहे हैं
लेकिन इतना जरूर है कि स्थानीय मुद्दे व समस्याओं के सवाल इस चुनाव में कहीं दूर दूर तक उभरते नजर नहीं आ रहे हैं।
प्रत्याशी जातीयता के सहारे अपने चुनावी वैतरणी पार करने के लिए जी जान लगाए हुए हैं वहीं ऐसे में जिले के बुद्धिजीवियों का मानना है कि चुनाव में जातीयता के खेल के चलते समस्याओं के निराकरण की बात सोचना भी बेमानी होगा।