औरैया । कहते है गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है, और सरकारी तंत्र भी जब मुंह फेर लेता है तो यह अभिशाप और बड़ा हो जाता है। इसी अभिशाप से परेशान नीरज ने आखिर मौत चुन ली। चार बच्चों व पत्नी का भरण पोषण मजदूरी करके कर रहा था। टूटा-फूटा घर था जिसमें छप्पर डालकर रह रहा था। कई बार प्रधान के चक्कर काटे आवेदन किया लेकिन कॉलोनी नही मिली। बरसात में जीना मुश्किल था। ऐसे में परेशान होकर नीरज ने फंदा लगाकर जान दे दी। परिजनों ने देखा तो कोहराम मच गया। अछल्दा क्षेत्र के गांव मोहम्मदाबाद निवासी 38 वर्षीय नीरज कुमार पुत्र मन्नीलाल सिंह कठेरिया मजदूरी करके जीवन यापन करता है।
कई बार आवेदन के बाद भी नही मिली थी कॉलोनी
कॉलोनी के लिए वह बहुत परेशान रहा। बताते है की आर्थिक हालत ऐसी नही थी की परिवार के लिए छत भी डाल लें। ऐसे में उसने चार बार आवेदन किया लेकिन उसकी कॉलोनी पास नही हुई। इधर बरसात में रहना नरक हो गया था। बुधवार की बीती रात नीरज ने रस्सी का फंदा बनाकर जान दे दी। पत्नी एवं बच्चे परिवार सहित कमरे के बाहर पड़े छप्पर के नीचे सो रहे थे। सुबह पत्नी भारती देवी शौचक्रिया के लिये उठी तो देखा कि पति चारपाई पर न मिलने पर कमरे का गेट देखा तो दरवाजा अन्दर से बंद होने पर देखा कि वह कमरे के अंदर फाँसी के फंदे पर झूलता देख उसके होस उड़ गये।
मृतक के परिजनों ने थाना में सूचना दी। सूचना पर पहुँचे उपनिरीक्षक पहलवान सिंह ने पुलिस बल के साथ पहुँच कर कमरे के अंदर पंखे से लटके हुये शव को उतार कर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया है। मृतक की पत्नी भारती देवी एवं चार छोटे छोटे बच्चे प्रिया, नव्या,कन्हैया,मोहन का रो रो कर बुरा हाल है वहीं ग्रामीणों ने बताया कि मृतक आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।