औरैया। निकाय चुनाव में जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद के साथ सभी छह नगर पंचायतों में अध्यक्ष व सभासद के प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ मतदाताओं को लुभाने के लिए वार्डों की गली गली की खाक छानते घूम रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर अधिकांश मतदाता अपने साल भर की काम आने वाली रबी की फसल की कटाई मड़ाई कर समेटने के साथ आवश्यक काम में जुटे नजर आ रहे हैं। जिससे मतदाताओं की बेरुखी से जहां प्रत्याशी बेचैन है वही चुनाव आयोग द्वारा अराजक भोडे प्रचार प्रसार पर लगाई गई वंदिसों के चलते चुनावी माहौल भी काफी उदास नजर आ रहा है।
निकाय चुनाव के लिए नगर पालिका परिषद औरैया के साथ ही नगर पंचायत बिधूना अछल्दा फफूंद दिबियापुर अजीतमल बाबरपुर अटसू आदि में अध्यक्ष व सभासद पदों के प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने पटाने के लिए उनकी गणेश प्रतिमा को वार्डों की गलियों की खाक छानते घूम रहे हैं लेकिन अधिकांश मतदाताओं के किसान व मजदूर होने के कारण इस समय यह किसान मजदूर मतदाता अपने साल भर के खाने खर्चे का काम चलाने वाली रबी की फसल की कटाई मड़ाई कर समेटने के प्रयासों में लगे हुए हैं।
किसान खेतिहर मजदूरों का कहना है कि चुनाव तो हर 5 वर्ष में आते ही रहते हैं लेकिन भरण पोषण के लिए यह फसल ही उनका साथ देगी यह नेता नहीं। इस बार फिलहाल अभी तक जिले में कहीं किसी की लहर नजर नहीं आ रही है वहीं लहर के अलावा जो चीज मतदाताओं को चुनाव से जोड़ती है वह होते हैं मुद्दे तो फिलहाल कोई मुद्दे भी नजर नहीं आ रहे हैं। वैसे जातीय समीकरण कहीं ना कहीं चुनाव को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। पहले सड़कों गलियों में प्रत्याशियों के प्रचार वाहन में लगे लाउडस्पीकरों से चीखते समर्थक लोगों की रातों की नींद दिन का चैन हराम कर देते थे।
वहीं पोस्टर बैनर होर्डिंग्स से दीवारें चैराहे पट जाते थे लेकिन चुनाव आयोग द्वारा अराजक भोडे प्रचार पर लगाई गई बंदिशों से अब माहौल पूरी तरह शांत नजर आ रहा है ऐसे में मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ाती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि रबी की फसल की कटाई मड़ाई दो चार दिन में यदि पूरी हो गई तो किसानों खेतिहर मजदूरों की रूचि अवश्य इस चुनाव की तरफ बढ़ने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।