औरैया । शासन द्वारा यूं तो गांवों की सफाई के लिए सफाई कर्मियों की भारी-भरकम फौज तैनात कर दी गई है लेकिन अधिकांश सफाई कर्मी अधिकारियों व प्रधानों की सांठगांठ से गांवों की सफाई की अपनी जिम्मेदारी से अलग-थलग रहकर जिले से लेकर ब्लॉक तक के सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों व प्रधानों के आवासों की सफाई व उनके निजी कार्यों तक ही सीमित नजर आ रहे हैं। जिससे सफाई के अभाव में गांवों में संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका से ग्रामीण बेहद भयभीत है और शिकायतों के बावजूद संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
सामान्य व पिछड़े वर्ग के सफाई कर्मी घर बैठे कागजों पर निभाते जिम्मेदारी
सरकार द्वारा यूं तो गांवों में सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने की मंशा से जिले के विकास खंड अछल्दा बिधूना एरवाकटरा सहार औरैया भाग्यनगर अजीतमल आदि सभी विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में सफाई कर्मियों की भारी-भरकम फौज तैनात कर दी गई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कागजों पर तो एक से दो सफाई कर्मी तैनात है लेकिन ग्राम विकास विभाग के अधिकारियों व प्रधानों की सांठगांठ से अधिकांश सफाई कर्मी गांवों में सफाई ना करके जिले से लेकर ब्लॉक तक के सरकारी कार्यालयों व प्रधानों के आवासों की सफाई के साथ उनके निजी कार्यों में ही लगे नजर आते हैं।
सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि सफाई कर्मियों की भर्ती में अधिकांश सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग के ऐसे सफाई कर्मी भी शामिल है जो सिर्फ अपने पद की कागजी खानापूर्ति तो करते है लेकिन वह स्वयं सफाई के लिए गांवों में कभी नहीं जाते हैं लेकिन इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों व प्रधानों की मेहरबानी से उनकी हाजिरी लगातार दर्ज होती है जिससे वह सरकारी खजाने से लगातार वेतन भी ले रहे हैं। कुछ ऐसी भी सफाई कर्मी है जो सरकारी कार्यालयों में लिपिक का काम करते भी देखे जाते हैं। जब इसके खिलाफ ज्यादा आवाज उठाई जाती है तो यह सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग के अधिकांश सफाई कर्मी प्राइवेट सफाई कर्मियों को महीने में एक दो बार अपनी ग्राम पंचायतों में दिहाड़ी पर भेजकर सफाई की खानापूर्ति जरुर करा देते हैं।
सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग के सफाई कर्मियों द्वारा कभी भी सफाई ना करने के बावजूद आज तक किसी अधिकारी या प्रधानों ने इस संबंध में किसी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है। जनचर्चा तो आम यह है कि अधिकारियों व प्रधानों द्वारा अधिकांश नाकारा सफाई कर्मियों से मासिक बधौरी वसूली जाती है शायद इसी कारण इस पर अंकुश नहीं लगाया जाता है। गांवों में सफाई व्यवस्था छिन्न भिन्न रहने से कीचड़ व गंदगी से नालियां बजबजा रही हैं जगह-जगह कूड़े के ढेर व गलियों में गंदगी फैली रहने के कारण मच्छरों व बैक्टीरिया का प्रकोप बढ़ रहा है ऐसे में संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका से ग्रामीण बेहद भयभीत है। इस संबंध में पूछे जाने पर कोई भी अधिकारी जवाब नहीं दे रहा है और जांच की बात कह कर इस मामले पर पर्दा डाला जा रहा है।