अयोध्या: किसी भी देश के नागरिकों को शिक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिकता होती है सरकारें इनकी बेहतरी के दावे भी करती रहती हैं लेकिन धरातलीय स्थिति कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ इसके अलग है ! बात करते हैं मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि पूरी भाजपा के उद्गम केंद्र अयोध्या स्थित राजर्षि दशरथ मेडिकल कालेज की जहाँ व्यवस्था व नर्सिंग स्टाफ सिर्फ नाम का है कोई प्रबंधन नहीं प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार का स्टाफ पर कोई कंट्रोल नहीं स्थिति यह है कि अगर स्टाफ के कार्यशैली या फिर बुरे वर्ताव की शिकायत ज्ञानेंद्र कुमार से की भी जाती है
तो भी उसका कोई अनुपालन सटाफ द्वारा नहीं किया जाता ! I.C.U. की दशा तो रामनगरी में राम भरोसे ही है आईसीयू में रखे सीरियस मरीजों को किसी अन्य मरीज के आने के बाद 24 घंटे में कई बार निकालकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है, मरीज चाहे वार्ड में शिफ्ट करने लायक हो या फिर न हो ! मेडिकल कालेज में रात्रि ड्यूटी पर नियुक्त स्टाफ ड्यूटी से गायब तो रहते ही हैं या फिर कहीं सोते हुए अवश्य मिल जायेंगें
आलम यह है कई बार मैंने देखा किसी एमरजेंसी में वार्ड में या तो आक्सीजन सिलेंडर है ही नहीं या फिर खाली पड़ा है , जरूरत पर सिलेंडर की डिमांड करने पर मौके पर मौजूद स्टाफ द्वारा हाथ यह कहकर खड़ा कर दिया जाता है कि हम कुछ नहीं कर सकते आप से जो व्यवस्था हो कर सकते हैं असला में इस दशा में दूसरे वार्ड के इंचार्ज भी सिलेंडर देने से मनाही यह कहकर कर देते हैं क़ि उनके पास सिलेंडर ख़त्म हो जायेगा तो वो कहाँ से लायेंगें ?
सही में तो यही कहा जा सकता है दशरथ मेडिकल कालेज मरीजों की कब्रगाह बन चुका है जहाँ आम लोगों की कोई सुनवाई नहीं है, हमने कई मरीजों को अपने सामने इलाज में कोताही के कारण मरते देखा है, अगर कहीं ऊपर शिकायत भी की जाती है तो मरीज को सीरियस बताकर जबरिया रेफर कर दिया जाता है ! भगवान राम की नगरी में उनके पिता राजा दशरथ के नाम बने मेडिकल कालेज में मरीजों के शोषण अपमान दुर्व्यवहार पर समूची सत्ता चुप क्यों है ?