आजमगढ़। उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों में अगर किसी को सबसे ज्यादका झटका लगा है तो वह बहुजन समाज पार्टी ही है। क्योंकि बसपा पार्टी सिर्फ अपने गढ़ आजमगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में बुरी तरह से हारी है। यहां तक कि बसपा अपना बेस वोट भी नहीं बचा पाई लेकिन आजमगढ़ मंडल ने एक बार फिर बसपा को यूपी में खाता खोल दिया। आजमगढ़ मंडल की रसड़ा सीट से उमाशंकर सिंह विधायक चुने गए। इसके पहले वर्ष 1989 में पहली बार आजमगढ़ से ही बसपा का खाता खुला था।
बसपा का भाजपा ने उठा लिया फायदा
आजमगढ़। सपा बसपा के उदय के बाद से ही आजमगढ़ जैसे मंडल में दोनों दलों का वर्चश्व बड़ा ही दिलचस्प रहा है लेकिन वर्ष 2014 के बाद से पूर्वांचल में सपा बसपा का जनाधार घटा है। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और बीजेपी में कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद थी। सपा ने चुनौती भी पेश की लेकिन बसपा पूरी तरह फ्लाप रही। आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में बसपा अपने बेस वोट को भी नहीं बचा पाई। दलित वोटर कहीं सपा तो कहीं बीजेपी के साथ खड़ा हुआ।
बसपा का 403 सीटों पर साफ नहीं सूपड़ा
बस बसपा के लिए राहत इस बात की रही की यूपी की सभी 403 सीटों पर उसका सूपड़ा साफ नहीं हुआ। बसपा की अगर इज्जत बची है तो इसमें आजमगढ़ मंडल का बड़ा योगदान है। कारण कि बसपा के खाते में यूपी की एक मात्र सीट बलिया जिले की रसड़ा गयी है। यहां उमाशंकर सिंह विधायक चुने गए हैं। उमाशंकर सिंह को मायावती का करीबी माना जाता है और पार्टी ने उन्हें तीसरी बार मैदान में उतारा था।
बसपा को एक सीट रसड़ा
रसड़ा सीट पर उमाशंकर सिंह 87345 मत पाकर विजयी रहे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुभासपा के महेंद्र को 80681 वोट मिले। यहां भाजपा के उम्मीदवार बब्बन को मात्र 23911 मत मिला। ऐसी ही स्थिति वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिली थी। उस समय बसपा ने आजमगढ़ सीट पर रामकृष्ण यादव पर दाव लगाया था। उस समय कांशी राम और मायावती तक चुनाव हार गई थी लेकिन आजमगढ़ सीट जीतकर रामकृष्ण यादव बसपा के यूपी के पहले सांसद चुने गए थे। बीएसपी को दूसरी सीट पंजाब में मिली थी। अब 2022 में बसपा को पूरे यूपी में सिर्फ एक सीट रसड़ा मिली है।