नानपारा/बहराइच l प्रभु श्री राम के समय जब दीपावली मनाई जाती होगी तो उसके नजारे क्या होते होंगे, क्योंकि उस समय परंपरागत दिए ही देश भर में जलाए जाते थे दियो को जलाने का मकसद खुशियों के साथ-साथ जो बदलते मौसम में कीटाणु उत्पन्न होते हैं
वह भी इस दीपक जलने से बहुत कम हो जाते थे l परंतु अब ऐसा नहीं है बदलते परिवेश में देशभर में चाइनीज़ झालरों ,लाइटों के अलावा मोमबत्ती जलाकर लोग दीपावली मनाने का कर्तव्य निभा रहे हैं और दीपक बहुत कम ही लोग जला रहे हैं बड़े-बड़े घरों में देखा जाता है कि कुछ दीपकों को जलाकर अपने कर्तव्यों को निभाया है, बाकी पूरे महल , घरों , दुकानों, सरकारी गैर सरकारी कार्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक लाइटों का प्रयोग होता है।
दैनिक भास्कर ने कुम्हारों के बीच जाकर जब उनकी कला के बारे में जानना चाहा तो कुम्हारों के उम्मीद के दिए ना उम्मीद में बदल रहे हैं l मंगल प्रजापति , विनोद प्रजापति, प्रमोद प्रजापति आदि ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि उन्हें काफी प्रयास के बाद उतना धन नहीं मिल पाता जिससे वह अच्छी तरह से दिवाली अपने बच्चों की साथ मना लें और उन्हें सरकारी सहयोग भी नहीं मिलता।