
जिले और देश से क्षय रोग के खात्मे को लेकर जिलाधिकारी ने दिलाई शपथ
टीबी दिवस संपन्न
● जिलाधिकारी और सीएमओ की मौजूदगी में हुआ आयोजन
● मिशन 2025 के लिए स्वयंसेवी संस्थाएं भी आगे आईं
बहराइच l देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग यानि टीबी मुक्त बनाने के लिए हर दिन नए-नए प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को जनपद में पंद्रह सौ टीबी रोगियों को गोद लिया गया। टीबी दिवस पर यह पहल राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से शुरू हुई। जनपद समेत प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीबी रोगियों को गोद लिया गया। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने लोगों को समाज, जिले और देश से टीबी रोग के खात्मे को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने की शपथ दिलाई l
आयोजन के दौरान जिलाधिकारी डॉ दिनेश चन्द्र ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर हमारे जिले में क्षय रोगियों को गोद लेने की व्यवस्था प्रारंभ की गई है। यह एक अच्छी पहल है। इससे समाज में बहुत ही धनात्मक ऊर्जा का संचार होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी का प्रयास है कि क्षय रोगी भी जल्द स्वस्थ हों और अन्य स्वस्थ लोगों की तरह मुख्य धारा में जीवन यापन कर सकें। उन्होंने निर्देश भी दिया कि जो लोग क्षय रोगियों को गोद ले रहे हैं, वह सभी नियमित फोन कर मरीज या उसके परिजन से हालचाल लेते रहें।
मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना ने कहा कि क्षय रोग एक गंभीर समस्या है, लेकिन अब इस इलाज उपलब्ध है। इससे अब डरने की जरूरत नहीं है। समय से उपचार हो जाने पर यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने कहा कि जिला क्षय रोग अधिकारी सुनिश्चित करें कि टीबी मरीज के पते और संपर्क नंबर सही से दर्ज हो। इससे मरीज से आसानी से संपर्क किया जा सकेगा। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि यदि आपमें या आसपास के किसी व्यक्ति में टीबी का कोई लक्षण नजर आता है, तो तत्काल बलगम की जांच कराएं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ केके श्रीवास्तव ने विश्व क्षय रोग दिवस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की योजना है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोग को तपेदिक या टीबी भी कहा जाता है। इसे प्रारंभिक अवस्था में ही नहीं रोका गया तो यह जानलेवा साबित हो जाता है। समय से इलाज शुरू नहीं होने पर यह बीमारी व्यक्ति को धीरे-धीरे मारती है। इसलिए लक्षण महसूस होते ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए। गौरतलब है गत माह ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रदेश के जिलाधिकारियों को टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेने, संपूर्ण इलाज, जांच व फॉलोअप संबंधी आदेश दिया था।
रोगी खोजो अभियान शुरू
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस से ही क्षय रोगियों को खोजने के लिए विशेष अभियान शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में यह अभियान 13 अप्रैल तक चलेगा। इसकी जिम्मेदारी मुख्य रूप से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) संभालेंगे। अभियान के दौरान जिले में विभिन्न गतिविधियों के जरिए लोगों को क्षय रोग के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। अभियान के दौरान टीबी के संभावित लोगों की एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच होगी। नमूनों की माइक्रोस्कोपी सेंटर से जांच कर 24 घंटे में रिपोर्ट दी जाएगी।
टीबी की पुष्टि होने पर रोगी को तत्काल ही सात दिन की दवा दे दी जाएगी। सीएचओ, आशा टीबी मरीज को हर माह दवाएं देंगी और लगातार मॉनिटरिंग करेंगी