“मुझे अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था मेरी कश्ती वहाँ डूबी जहाँ पानी कम था”
कैसरगंज के भाजपा गढ़ मे खूब दौड़ी”साइकिल”आन्नद मय हो गए लोग
यहाँ समीकरण से खिलता था “कमल” समीकरण ने ही बिगाड़ दिया खेल अब करो मंथन !
भास्कर ब्यूरो
जरवल/बहराइच। किसी शायर की दो पंक्तियां मुझे अपनो ने लूटा,गैरो मे कहा दम था। मेरी कश्ती वहाँ डूबी,जहाँ पानी कम था।
ये शेर कैसरगंज की विधान सभा के चुनावी परिणाम से पूरी तरह सटीक जरूर बैठ रहा है। बताते चले वर्ष 2012 से अब तक इस सीट पर कमल ही खिलता नजर आया लोगो ने हमेशा भाजपा पर ही अपना भरोसा जताया पर इस सीट पर भाजपा की नई टीम का प्रयोग और पुराने भाजपा के देव दुर्लभ कार्यकर्ताओ को नकारना भाजपा प्रत्याशी गौरव वर्मा को भारी पड़ गया। और बाजी सपा प्रत्याशी आनन्द यादव के हाथ लग गई।
हालांकि इस सीट पर काबिज भाजपा विधायक मुकुट बिहारी वर्मा जो योगी सरकार के मन्त्री मण्डल मे सहकारिता मन्त्री है। चाहते थे कि उनके रहते उनका पुत्र गौरव उनकी बनाई जमीन पर उनके सपनों को साकार कर दे पर हो नही पाया। और मुकुट की विरासत पर साइकिल की ब्रेक लग गई। वैसे भाजपा वर्ष 2012 से यहाँ समीकरण पर ही जीतती आई लेकिन वर्ष 2022 के विधान सभा के चुनाव मे समीकरण ने ही भाजपा को इस क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखा दिया इस सीट पर भी मोदी योगी का जादू चला तो पर मन्त्री पुत्र भाजपा प्रत्याशी गौरव वर्मा को उनके अपनो ने ही भृमित कर मतदान के अंतिम समय तक समीकरणों मे ही उलझाए रखा और बाजी सपा ने मार ली। वैसे गौरव की जनता के बीच नाराजगी केवल अकेले उन पर थोपा जाए तो भी गलत ही होगा उनके तमाम सखा तमाम सजातीय लोगो ने भी बीते पाँच वर्षों मे जिस तरह मन्त्री के करीबी बनकर खेल खेला जनता को नागवार ही गुजरा ये बात मंत्री जी भी जानते हुए भी पुत्र मोह मे केवल मौन ही रहे।जिसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
वैसे मंत्री जी ने बेटे को टिकट दिलवाने से लेकर चुनावी वैतरणी पार करवाने के लिए जितनी मेहनत की शायद ही कभी अपने चुनाव मे की होगी फिर भी पुत्र ने अपने पिता की विरासत बचा नही पाए।तो दूसरी तरफ यहाँ धीरे-धीरे साइकिल की रफ्तार भी बढ़ती गई और भाजपा की नई टीम को भनक भी नही लगी और ओवर कॉन्फिडेंस का लड़ा गया भाजपा का ये चुनाव उनके अपनो ने ही कमल को मुरझाने मे अहम भूमिका निभा दी जो अब भी चर्चा मे बना हुआ है।
फिर मुस्लिम वोटरों के बंटवारे के ताक मे थी भाजपा
जरवल। बसपा, एआईएमआई, जनसत्ता दल, आप जैसी कई पार्टियों पर मुस्लिम प्रत्यासी कैसरगंज सीट पर थे जिसमें बसपा व ए आई एम आई काफी जोर शोर से मुस्लिम मतों को अपने पाले मे करने के लिए तमाम हथकंडा अपनाया लेकिन मुस्लिम समुदाय सपा प्रेम मे बिखरा ही नही जब कि भाजपा के रणनीति कर मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण की गफलत मे पड़ी रही जिसका परिणाम भाजपा के लिए घातक बन गया।
भीतरघात भी कम न था
जरवल। सपा मे भीतरघात यादव व मुस्लिम वोटरों का होगा भाजपा राग अलाप रही थी पर एसा हो नही पाया ये जरूर रहा कि भाजपा मे भाजपाइयों ने सेंध जरूर लगा दी जिसे किसी को भनक न लग सकी खेला भी होता रहा। जो भाजपा के लिए शुभ संकेत नही रहा।