बहराइच। मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना ने बताया कि सहकारी समितियों द्वारा उपकेन्द्रों की स्थापना के माध्यम से समस्त ग्रामीण क्षेत्र को लाभदायक कृषि निवेश उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार किये जाने की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार किया जा रहा है। शासन की मंशा तथा नीति के अनुरूप सभी लाभों के परिप्रेक्ष्य में जिले के समस्त किसान भाईयों एवं सहकारिता में रूचि रखने वाले अन्य प्रबुद्धजन रू. 200=00 का न्यूनतम अंश क्रय करके निकटवर्ती समिति का सदस्य बनकर सहकारिता आन्दोलन को सबल, अधिक उपयोगी बनाये जाने तथा सहकार से समृद्धि की केन्द्र सरकार की योजना को मूर्तरूप में स्थापित करने में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करें।
सीडीओ ने बताया कि सहकारी समिति से संचालित योजनाओं का सम्यक लाभ लिये जाने हेतु समिति का सदस्य होना आवश्यक है। सीडीओ ने बताया कि सहकारी समितियां अल्पकालीन कृषि आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु तीन प्रतिशत रियायती साधारण व्याज दर पर काश्तकारों को ऋण उपलब्ध कराती हैं, जबकि वाणिज्यिक बैंकों में चार प्रतिशत चकवृद्धि ब्याज दर पर कृषि ऋण वितरित किया जाता है। जिससे स्वतः स्पष्ट है कि सहकारी समितियों के माध्यम से अल्पकालीन कृषि आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण लेना काश्तकारों के हितों के अनुकूल है।
सहकारी समिति से ऋण प्राप्त करने के लिए डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा विभिन्न फसलों के लिए पृथक-पृथक निर्धारित वित्तमान एवं कृषक द्वारा धारित कृषि योग्य भूमि के आंकलन के अनुसार ऋण प्रदान किये जाने की सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से सहकारी कृषकों के क्रेडिट कार्ड योजना दिसम्बर 1999 से लागू है। यह ऋण सदस्यों को फसल तैयार करने हेतु नगद एवं वस्तु के रूप में किसान क्रेडिट कार्ड योजनान्तर्गत उपलब्ध कराया जाता है। सहकारी समितिया कृषक भाईयों की कृषि उपज का खरीद करने वाली सबसे महत्वपूर्ण ईकाई भी है। सहकारी समितियां द्वारा संचालित क्रय केन्द्रों की विशेषता यह है कि अन्य एजेन्सियों के मुकाबले इनके क्रय केन्द्र दूर-दराज के क्षेत्रों में कृषकों से उनके द्वार पर उपजों का विपणन करके उन्हें न्यूनतम समर्थन योजना से लाभान्वित कराती है।
भारत सरकार में सहकारिता मंत्रालय के गठन के उपरान्त सहकारी समितियां के माध्यम से जन औषधि केन्द्रों की स्थापना तथा संचालन की प्रक्रिया प्रगति में हैं जिसके उपरान्त सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु अत्यधिक उपयोगी योगदान देगी। ग्रामीण क्षेत्र के काश्तकार तथा सहकारी समितियों के सदस्य प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों में रियायती दरों पर जीवन रक्षक एवं दैनिक उपयोग की औषधियां प्राप्त कर पायेगें। इसके अलावा सहकारी समितियों के माध्यम से विश्व की सबसे बड़ी भण्डारण योजना विकसित करने की केन्द्र सरकार की योजना सम्प्रति प्रगति में है।
सहकारी समितियों के गोदामों का डब्लूडीआरए में पंजीकरण भी कराया जा रहा है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के काश्तकार अपनी कृषि उपजो का सुरक्षित तथा वैज्ञानिक ढंग से भण्डारण भी समितियों के गोदामों में कर पाने में सक्षम होंगे। सीडीओ कविता मीना ने बताया कि इसके अलावा सहकारी समितियां एफपीओ/एफपीसी से सम्बद्ध होकर एफपीओ/एफपीसी के कामकाज को सुगम बनाने व विस्तारित करने का कार्य कर रही है। सहकारी समितियां कृषि उपजों के भण्डारण, विपणन, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी तथा मत्स्य जैसी गतिविधियों के विकास हेतु भी अपनी अमूल्य योगदान प्रदान करने में सक्षम है।