क़ुतुब अंसारी
बहराइच (मिहींपुरवा ) उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के इन्टेन्सिव विकास खण्ड मिहीपुरवा में सुरेन्द्र कुमार गुप्त, उपायुक्त स्वतः रोजगार एवं मृगांक शेखर उपाध्याय, जिला मिशन प्रबन्धक, लाइवलीहुड के निदेशन में जीविका, बिहार से आये कृषि विशेषज्ञों द्वारा समूह की महिलाओं को पोषण वाटिका लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
पोषण वाटिका घर के अगल बगल में या के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती हैं, जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है। पोषण वाटिका का मकसद रसोईघर के पानी व कूड़ा करकट का इस्तेमाल कर के घर की फल व साग सब्जियों की दैनिक जरूरतों को पूरा करना है। आजकल बाजार में बिकने वाली चमकदार फल सब्जियों को रासायनिक उर्वरक प्रयोग कर के उगाया जाता है। रसायनों का इस्तेमाल खरपतवार, कीड़े व बीमारियों रोकने के लिए किया जाता है। इन रासायनिक दवाओं का कुछ अंश फल सब्जी में बाद तक बना रहता है, जिसके कारण उन्हें इस्तेमाल करने वालों में बीमारियाँ से लड़ने की ताकत कम होती जा रही है। इसके अलावा फलों व सब्जियों के स्वाद में अंतर आ जाता है, इसलिए हमें जैविक खादों का इस्तेमाल करके रसायन रहित फल सब्जियों को उगाना चाहिए। औषधियों का उपवन है,
प्रेरणा पोषण वाटिका।
मौके पर ब्लॉक एंकर पर्सन, नंदकिशोर साह ने कहा कि पोषण वाटिका, स्वच्छ और स्वस्थ आहार का स्रोत है। इसे आर्थिक बचत का जरिया व स्वस्थ रहने के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सब्जियों के बिना मानव स्वस्थ नहीं रह सकता। दैनिक आय का एक हिस्सा सब्जी खरीदने में चला जाता है। ऐसे में घर के पास बेकार पड़ी जमीन को उपयोग में लाकर वहां पोषण वाटिका लगाई जा सकती है। इसमें साग-सब्जियों के अलावा आम, अमरूद ,आंवला, नीबू इत्यादि के पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे बाजार से सब्जियां लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती और ताजा सब्जियां मिलने से शरीर स्वस्थ्य रहता है। उन्होंने आंवला को अमृत के समान बताया। इसके फल में औषधीय गुण है। बहुत बीमारी में फायदेमंद है।
यंग प्रोफेशनल, शैलेश कुमार ने कहा कि इसके लिए स्थान चुनने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती, क्योंकि अधिकतर ये स्थान घर के पीछे या आसपास ही होते हैं। घर से मिले होने के कारण थोड़ा कम समय मिलने पर भी काम करने में सुविधा रहती है। वाटिका के लिए ऐसे स्थान, जहाँ पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सके, जैसे नलकूप या कूएँ का पानी, स्नान का पानी, रसोईघर में इस्तेमाल किया गया पानी पोषण वाटिका तक पहुँच सके।
स्थान खुला हो ताकि उस में सूरज की भरपूर रोशनी आसानी से पहुँच सके। ऐसा स्थान हो, जो जानवरों से सुरक्षित हो और उस स्थान की मिट्टी उपजाऊ हो। जैविक उत्पाद (रसायन रहित) होने के कारण फल व सब्जियों में काफी मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद रहते हैं। बाजार में फल ससब्जियों की कीमत अधिक होती है, जिसे न खरीदने से अच्छी खासी बचत होती हैं। परिवार के लिए ताजा फल सब्जियाँ मिलती रहती हैं। वाटिका की सब्जियाँ बाजार के मुकाबले अच्छे गुणों वाली होती है। वाटिका लगा कर महिलाएं अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही हैं। पोषण वाटिका से प्राप्त मौसमी फल व सब्जियों को परिरक्षित कर के सालभर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह बच्चों के प्रशिक्षण का भी अच्छा साधन है। यह मनोरंजन और व्यायाम का भी एक अच्छा साधन है।
एडीओ आई एसबीआई लक्ष्मण प्रसाद गौड़ने बताया कि 20 कृषि सखी और 2857 महिला किसान प्रशिक्षित है। इसमे से 88 महिलाओं ने किचेन गार्डेन,115 वर्मीकम्पोस्ट, 278 बोरी बगीचा और 31 पोषण वाटिकालगा कर स्वस्थ पोषण, देश रोशन को चरितार्थ कर रही हैं।
इस अभियान में विकास खण्ड प्रबंधक, अनुराग पटेल, लाइवलीहुड पीआरपी शिवबचन कुमार, चंदन कुमार, मनीष चंचल, किरण देवी, कुमारी आशा, संदीप कुमार सिंह, साबिता, रुक्मीना का सराहनीय योगदान रहा।