जरवल/बहराइच। भोर पहर की लालिमा दिखते ही शिव मंदिरो के कपाट खोल दिए गए जहां पर महिलाओ के साथ पुरुषो की कतारबद्ध लाइनों में आकर भक्तो ने शिवलिंग पर जलभिषेक तो किया ही आंटे से बने नाग देवता पर दूध की धार डाल कर पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना भी की।
बताते चलें नाग पंचमी पर्व व गुड़िया का पर्व क्यों मनाया जाता है इसके पीछे तमाम किंवदंतियां भी है जो इस प्रकार से जानी जाती है। एक बार ब्रह्मा जी ने पंचमी तिथि को नागों को यह वरदान दिया था की इसी तिथि पर आस्तिक मुनि ने नागों का परीक्षण किया था इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान किए थे उसी समय नागो ने आस्तिक मुनि से कहा कि नाग पंचमी को जो भी उसकी पूजा अर्चना करेगा उसे कभी नागदंश का भय नहीं रहेगा।
तो दूसरी किंवदंती के मुताबिक एक बार तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई थी फिर इसके कुछ समय बाद तक्षक नाग के चौथी पीढ़ी की बेटी की शादी राजा परिक्षित बेटे के साथ शादी करके ससुराल आई तो उसने यह बात एक सेविका को बता दिया
और उसने कहा कि यह बात किसी से नहीं करना लेकिन यह बात किसी दूसरी महिला को बता दिया इस तरह यह बात पूरे नगर में फैल गई इस बात से तक्षक के राजा ने क्रोधित होकर नगर के सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश दिया और सबको कोणों से पिटवा दिया ऐसा कहते हैं तभी से गुड़िया मनाने की प्रथा शुरू हो गई।