बहराइच: डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य और विधि विधान से की पूजा,घाघरा नदी के तीरे दिखा आस्था का सैलाब

बहराइच। लोक आस्था का महापर्व छठ बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।चार दिनों तक चलने वाले छठ त्योहार का तीसरा दिन है। जो घाघरा नदी के तीरे खास कर महिलाओं ने छठ पर्व को आस्था के साथ मनाया मान्यता है तीसरा दिन सबसे खास माना जाता है।इस दिन डूबते सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। फिर अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समापन किया जाता है। लोक आस्था का महापर्व छठ है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है।

धार्मिक विद्वानों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को डूबते हुए सूर्य अर्घ्य दिया जाता हैं। अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। जानकारों का कहना है कि सूर्य देव जिन्हे प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में एक हैं। उन्हें आमतौर पर जब सुबह वे उगते हैं तो जल चढ़ाने की परंपरा है। लेकिन छठ ऐसा पर्व है जिसमें डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 

ज्यतिषो के अनुसार हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। हर वर्ष छठ महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ का पर्व चलता है। छठ महापर्व के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे खरना, तीसरे दिन सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को अर्घ्य और छठी माता की पूजा करने के बाद आखिरी दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है। इन चार दिनों के महापर्व में छठ के तीसरे दिन को सबसे खास माना जाता है।

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