बलिया: जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के षष्ठम दीक्षांत समारोह में पंहुची प्रदेश की राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाधिपति अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में एक पूरी तरह सख्त अध्यापक की भूमिका में दिखाई दी। अपने लिखित भाषण से इतर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बलिया की धरती को नमन करते हुए जयप्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का स्मरण किया। इसके बाद स्वयं एक अनुशासित शिक्षक की तरह उन्होंने सबसे पहले स्वर्ण पदक विजेताओं में उत्साह के अभाव में उनकी खिंचाई करते हुए कहा कि मेडल लेते समय न उत्साह ,न खुशी इस पर उन्होंने सवाल खड़ा किया।
और कहा कि वे अपनी शक्ति को पहचानें, युवा वर्ग में अनावश्यक राजनीति से बचें और सकारात्मक सोच बनाए, युवकों से बिना लक्ष्य की राजनीति से हटकर स्वावलंबी बनने पर उन्होंने बल दिया। विगत वर्ष विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रकरण पर अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी शिकायत बहुत सोच समझ कर करें, क्योंकि यह बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों के तीन महीने तक वेतन नहीं मिलने पर उन्होंने अधिकारियों की भी खिंचाई करते हुए उन्होंने कहा कि समिति बनाने से पहले वस्तुस्थिति की जांच कर लेना चाहिए था।वह आज लोकार्पित हुए प्रशासनिक भवन की गुणवत्ता से असंतुष्ट दिखाई दी और उसे अभी अधूरा कहा।
विश्वविद्यालय द्वारा अनदेखी की जा रही अनेक शैक्षणिक, बौद्धिक, सामाजिक , सांस्कृतिक, खेल कूद प्रतियोगिताओं पर उन्होंने अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए एक सुनियोजित वार्षिक कैलेंडर बनाने और उन्हें प्रेषित करने का निर्देश दियशिक्षा में हो रही कमियों की चर्चा करते हुए उन्होंने व्यवहारिक कमी की दूर करने की बात कही। विश्वविद्यालय में कौशल विकास, शोध आदि क्षेत्रों में अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए उन्होंने इस ओर काम करने पर जोर दिया।
कम्पनियों में विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए इन्टर्नशिप प्राप्त करने की दिशा में उन्होंने गंभीर प्रयास करने के निर्देश दिये। स्वाबलंबन की दिशा में उन्होंने और अधिक सुनियोजित ढंग से करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास के लिए उन्होंने दस वर्षों की योजना बनाने के लिए निर्देश भी दिए । इसके पूर्व समारोह के मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो रामचेत चौधरी ने सुरहा ताल के जयसूरिया धान का जिक्र करते हुए ऐसी विलुप्त प्रजातियों पर शोध करने का आह्वान किया और इनके जीआई टैग कराने की बात कही।
समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए 2047 तक विकसित भारत बनाने का आह्वान किया। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने भी उपाधि प्राप्त कर्ताओं को बधाई दी। इसके पूर्व राज्यपाल का हैलिकॉप्टर पुलिस लाइन में अपने निर्धारित समय पर 9.45 उतरा, जहां उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार, सीडीओ ओजस्वी राज ने उनका स्वागत किया और वहां से वे कार से बसन्तपुर स्थित विश्वविद्यालय परिसर पंहुची ,
जहां उनका स्वागत कुलपति प्रो संजीत गुप्ता ने किया। वहां उन्होंने नवनिर्मित अटल प्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया इस अवसर पर उन्होंने पौधारोपण भी किया, इसके फौरन बाद वह सीधे कलेक्ट्रेट परिसर स्थित गंगा भवन पंहुची जहां छठवां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था। कुल सचिव एसएल पाल,संकाय अध्यक्षों, कार्य परिषद, शिक्षा परिषद के सदस्यों, मंत्री द्वय , कुलपति के साथ पारम्परिक भेष-भूषा में वह जुलूस की शक्ल में मंच तक पंहुची। जहां कुलपति ने उनका स्वागत करने के उपरांत विश्वविद्यालय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
इसके बाद कुल सचिव द्वारा बारी बारी से संकाय अध्यक्षों को बुलाया गया जिन्होंने अपने संकाय के उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को उपाधि प्रदान करने की संस्तुति दी,जिसे कुलपति ने छात्रों से उपदेश दे और प्रतिज्ञा करवा कर स्वीकृत कर दिया और फिर तत्काल डिजिटल से कुलाधिपति ने बटन दबाकर उसे अपलोड कर दिया। इस बार भी छात्राएं बहुत आगे रहीं, पहली बार घोषित कुलाधिपति मेडल जंतु विज्ञान में आयुषि सिंह को मिला, कुल 42 स्वर्ण पदक विजेताओं में 37 छात्राएं रही। विश्वविद्यालय में पहली बार दो पीएचडी उपाधियां भी दी गई है।
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राज्यपाल ने आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए राजभवन में तैयार हेल्थकिट जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दी।किट को देते समय महामहिम ने स्वयं देते हुए एक एक चीज के बारे में विस्तार से बताया कि उसकी क्या जरूरत है।किट में सुई, धागा,बटन, कंघी,शीशा, तोलिया,सोफरामाइसिन रखे गए हैं। इस अवसर पर उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी सम्मानित किया।
विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों के पांच प्रधानाध्यापकों और विश्वविद्यालय द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में आयोजित विभिन्न शैक्षणिक सामाजिक सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के नन्हे मुन्ने छात्र छात्राओं को भी राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत किया गया।