रूस-यूक्रेन विवाद से बनारस के निर्यात को बड़ा झटका लगा है। यहां से निर्यात होने वाले उत्पादों को डंप कर दिया गया है। आलम ये कि पिछले दिनों जो माल वाराणसी से निर्यात भी किया गया था वो भी बंदरगाहों पर डंप पड़ा है। निर्यातकों की मानें तो डेढ सौ करोड़ से ज्यादा के निर्यात पर रूस-यूक्रेन विवाद का असर पड़ा है।
पूर्वांचल निर्यातक संघ के अध्यक्ष अमिताभ सिंह की मानें तो निर्यात किया गया माल शिपमेंट में रुकने से निर्यतकों की पूंजी फंस गई है। इसमें बनारसी शिल्क, बनारसी साड़ी, कालीन, ब्रोकेड, ग्लास बीड्स, ड्रेस मेटरियल, फैब्रिक, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी के खिलौने जैसे उत्पादों का यूरोप, ब्रिटेन, अमेरिका में निर्यात होता है। मौजूदा हालात में रूस व यूक्रेन ही नहीं इन देशों आर्डर निरस्त होने लगे है। निर्यातकों ने बुनकरों और शिल्पियों को दिए आर्डर भी होल्ड करा दिए हैं। इसके चलते उनकी पूंजी फंस गई है।
इतना ही नहीं बनारस के शेयर धारकों के भी करीब तीन हजार करोड़ को नुकसान पहुंचा है। सेंसेक्स गिरने से शेयर धारकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। बनारस म्यूचुअल फंड एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल झंवर का कहना है कि शेयर बाजार में गिरवाट के चलते बनारस के शेयर धारकों को नुकसान उठाना पड़ा है।
सोने के भाव में आई तेजी से सराफा व्यवसायी सकते में
इस बीच रूस-यूक्रेन विवाद के चलते सोने के भाव में भी जबरदस्त उछाल आया है। गुरुवार को दिन में सोने का भाव दो हजार रुपये प्रति ग्राम से भी ज्यादा बढ़ गए। नतीजतन सराफा कारोबार प्रभावित हुआ। थोक के साथ ही रिटेल मंडी में भी ग्राहकों की संख्या घट गई। आलम ये कि बुधवार को सोने की कीमत 50 हजार 900 रुपये से बढ़ कर प्रति दस ग्राम, 53 हजार 200 रुपये हो गई। गुरुवार की शाम तक उहापोह की स्थिति बनी रही। शाम सात बजते-बजते ही सराफा बाजार बंद हो गए। इस विवाद के चलते सोने के भाव में हुई बढ़ोत्तरी से सोने के आभूषण की खरीदारी भी प्रभावित हुई है। आलम ये कि ठठेरीबाजार, सुड़िया, रेशम कटरा, गोविंदपुरा की थोक सराफा मंडी में ग्राहकों नदारद दिखे। सोने का भाव बढ़ने से सराफा कारोबारियों ने भी आर्डर होल्ड कर दिए हैं।