बांदा। जैसे जैसे विधानसभा की तारीख नजदीक आ रही है, सभी दलों के सियासी रणनीतिकार अपनी अपनी गोटें बिछाने में जुट गए हैं। चौथे चरण में होने वाले बांदा के चुनाव में बढ़त बनाने के लिए सभी दलों के उम्मीदवार जहां क्षेत्र में पूरी ताकत झोके हुए हैं, वहीं प्रत्याशियों के वार रूम भी चुनाव को राेमांचक बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मौजूदा समय में सदर विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी का वार रूम सबसे अधिक मजबूत बताया जा रहा है। वार रूम की कमान स्वयं पूर्व विधायक राजकुमार शिवहरे ने संभाल रखी है और उनकी रणनीति सभी दलों पर भारी पड़ रही है।
सदर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा विधायक के सामने समाजवादी पार्टी से जहां पूर्व मंत्री स्व. विवेक कुमार सिंह की पत्नी मंजुला सिंह मैदान में हैं, वहीं बसपा से नए नवेले नेता धीरज राजपूत ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि धीरज की पत्नी सुजाता जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत चुकी है, लेकिन राजनीति के जानकार उन्हें सियासत का माहिर खिलाड़ी मानने से इंकार कर रहे हैं। फिर भी धीरज बसपा के कॉडर और अपने सजातीय वोटों के बूते चुनाव में टक्कर देते दिख रहे हैं। सियासी पंडितों की मानें तो सदर से प्रकाश ही सबसे मजबूत दावेदार दिख रहे हैं।
लेकिन सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह कह पाना मुमकिन नहीं है। सदर से प्रकाश की मजबूती में अहम किरदार उनके चुनाव संयोजक पूर्व विधायक राजकुमार शिवहरे को माना जा रहा है। बताते चलें कि पूर्व विधायक शिवहरे के संयोजन में ही 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी जीत मिल सकी थी। भाजपा ने एक बार फिर से बांदा के चाणक्य राजकुमार पर भरोसा जताया है और उन्हें प्रकाश के चुनाव की कमान सौंपी है। वहीं अन्य दलों के चुनाव प्रबंधन से तुलना करें तो बसपा, कांग्रेस और सपा में लगभग शून्य की स्थिति बनी हुई है।
भाजपा के चाणक्य के रूप में राजकुमार अपनी पूरी ताकत जीत की रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं और वह ऐन केन प्रकारेण चुनाव में भारी भरकम जीत का सपना साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा मंे चाणक्य बने राजकुमार की रणनीति एक बार फिर से पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जीत का सेहरा सजाने में कामयाब हो सकती है। हालांकि अभी यह ठीक से कह पाना मश्किल है कि सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा और जीत का सेहरा किसके सिर पर बंधेगा।