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बांदा। होली के त्योहार से पहले सजे बाजार से इस बार चाइनीज पिचकारी और रासायनिक रंग गायब हैं। बीते तकरीबन दो दशकों में ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि त्योहार का बाजार देसी में पिचकारियों और हर्बल रंगों की धूम है। हालांकि देसी पिचकारियां चाइना मेड की तुलना में 30 से 40 फीसद तक महंगी हैं। ग्राहक व दुकानदारों का कहना है कि देसी पिचकारियों की सेल से जहां देश की इकोनॉमी देश में रहेगी, वहीं हर्बल रंगों के इस्तेमाल से लोगों को नुकसान भी नहीं होगा।
चाइनीज पिचकारी और रासायनिक रंगों से परहेज
यह बात तो सभी जानते हैं कि दो दशक से भी ज्यादा समय तक होली की बाजार में चाइना मेड पिचकारियों का कब्जा रहा। लेकिन अब लोगों में जागरूकता आई है। सिर्फ सस्ते के चक्कर में पड़कर अब लोग चाइना मेड पिचकारियों, रंग और गुलाल से तौबा कर रहे हैं। आम ग्राहकों के रुख को भांपते हुए पिचकारी निर्माताओं ने बाजार में एक से बढ़कर एक देसी पिचकारियां उतारी हैं। यह पिचकारियां दाम में तो चाइना मेड पिचकारियों की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा हैं, लेकिन आकर्षक होने के साथ टिकाऊ भी हैं। देसी पिचकारियां इस बार 10 रुपये से लेकर 1600 रुपये तक उपलब्ध हैं, लेकिन मध्यमवर्गीय ग्राहकों को 200 से लेकर 500 तक की रेंज वाली देसी पिचकारियां अधिक भा रही हैं।
30 से 40 फीसद महंगी बिक रहीं देशी पिचकारियां
बाजार में अपने बच्चों को पिचकारी लेने आये ग्राहकों में शीला, शांता और माही ने बताया कि उनकी पहली पसंद देसी पिचकारी और हर्बल रंग ही हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में बेहतर क्वालिटी की देसी पिचकारी बाजार में देखने को भी नहीं मिल रहे थे। इसलिये चाइना मेड आइटम खरीदना ग्राहकों की मजबूरी थी। इस बार बाजार में देसी पिचकारियों की रेंज देखकर अच्छा लगा। दुकानदारों का कहना है कि वैसे तो पिचकारी चाइना मेड या फिर इंडिया मेड उन्हें अपने व्यापार से मतलब है, लेकिन भारत का नागरिक होने के नाते वे भी चाहते हैं कि भारत में ही बना आइटम बिके। भले ही उन्हें दो पैसे का मुनाफा कम हो।
खूब हो रही मोदी-योगी मुखौटों की बिक्री
होली के त्योहार पर आज भी मुखौटों का क्रेज पहले की तरह ही बरकरार है। इससे जहां एक ओर रंगों से चेहरे की बचत होती है, वहीं चेहरा फनी दिखने से इस त्योहार पर आनंद भी खूब आता है। देसी पिचकारी और हर्बल रंगों के साथ ही इस बार होली के त्योहार पर इंडिया मेड मुखौटे भी खूब बिक रहे हैं। इस बार त्योहार पर केजरीवाल मुखौटा गायब है। मोदी-योगी मुखौटे उड़कर बिक रहे हैं। इसमें भी दो क्वालिटी हैं। सस्ते वाले मुखौटे पतली रबर से बने हैं, जिनकी कीमत 15 से 30 रुपया है, लेकिन अच्छी क्वालिटी के मुखौटों की कीमत 150 से 250 रुपये है।
रासायनिक रंगों से करें बचें, प्राकृतिक अपनाएं
भारत स्वाभिमान न्यास, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार और इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश स्टेट चैप्टर कमेटी के मंडल प्रभारी सजल कुमार रेंडर ने प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल पर जागरूकता अभियान चलाया। इसके अंतर्गत यह अभियान आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज, विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, राजा देवी इंटर कॉलेज, गुरु राम राय पब्लिक स्कूल चिल्ला रोड, भागवत प्रसाद मेमोरियल एकेडमी श्रीनाथ विहार और रामादेवी पब्लिक स्कूल के छात्रों और शिक्षकों को रासायनिक रंगों से बचने और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सलाह दी। फलों में संतरा, अनार, अंगूर, जामुन, सब्जियों में पालक, चुकंदर, गाजर, टमाटर, हरा, धनिया और फूलों में गेंदा, गुलाब, गुड़हल व टेशू से रंग बनाने का तरीका बताया। इस दौरान बच्चों से संकल्प भी कराया गया।